वायनाड के पहाड़ी इलाके में भूस्खलन, 50 से ज्यादा मौतें  

केरल के वायनाड जिले में मेप्पाडी के पास पहाड़ी इलाकों में मंगलवार तड़के भारी भूस्खलन हुआ है, जिसमें सैकड़ों लोग फंसे हुए हैं। वहीं, इस हादसे में अबतक 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई है।

Jul 30, 2024 - 15:39
Jul 30, 2024 - 17:34
 11
वायनाड के पहाड़ी इलाके में भूस्खलन, 50 से ज्यादा मौतें  
Landslide in hilly area of ​​Wayanad, more than 50 deaths

देश में एक तरफ कई राज्य बारिश होने की दुआ कर रहे हैं तो वहीं कई राज्यों में बारिश अपना कहर दिखा रही है। असम से लेकर केरल तक मूसलाधार बारिश हो रही है, जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच केरल के वायनाड जिले में मेप्पाडी के पास पहाड़ी इलाकों में मंगलवार तड़के भारी भूस्खलन हुआ है, जिसमें सैकड़ों लोग फंसे हुए हैं। वहीं, इस हादसे में अबतक 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। इस बीच, वायनाड जिले के ऊंचाई वाले गांवों में मंगलवार तड़के भूस्खलन होने के बाद तबाह हुए घरों और मलबे के ढेर के बीच फंसे लोग फोन करके मदद की गुहार लगा रहे हैं।

आने-जाने का कोई रास्ता नहीं-

जानकारी के मुताबिक टीवी चैनलों पर कई लोगों की फोन पर हुई बातचीत सुनाई गई। बातचीत में लोग रो रहे थे और अनुरोध कर रहे थे कि कोई उन्हें आकर बचा ले, क्योंकि वे या तो अपने घरों में फंसे हुए हैं या उनके पास आने-जाने का कोई रास्ता नहीं है। यहां हालात बदतर बनी हुई है। पुल बह गए हैं और सड़कें जलमग्न हैं।

लोग लगा रहे मदद की गुहार-

चूरलमाला शहर की रहने वाली एक महिला ने फूट-फूटकर रोते हुए कहा कि उसके परिवार का एक सदस्य मलबे में फंसा हुआ है। उसे वहां से बाहर नहीं निकाला जा सकता। रोते हुए महिला ने आगे कहा, कृपया कोई यहां आओ और हमारी मदद करो। हमने अपना घर खो दिया है। हम नहीं जानते कि नौशीन जिंदा भी है या नहीं। वह दलदल में फंस गई है। हमारा घर शहर में ही है। चूरलमाला के एक अन्य निवासी ने फोन पर बातचीत के दौरान कहा कि धरती अभी भी कांप रही है और उन्हें नहीं पता कि क्या करना है। यहां बहुत शोर है। हमारे पास चूरलमाला से आने का कोई रास्ता नहीं है। इसके अलावा, एक शख्स ने फोन पर जानकारी दी कि मुंडक्कई में बड़ी संख्या में लोग दलदल में फंसे हुए हैं। यहां लोग जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। उसने कहा कि अगर कोई मेप्पाडी से वाहन द्वारा यहां आ सकता है, तो हम सैकड़ों लोगों की जान बचा सकते हैं।

अचानक पेड़ गिरने लगे और...

घायल एक बुजुर्ग व्यक्ति ने बताया कि उनकी पत्नी लापता है और उन्हें नहीं पता कि वह कहां है। उन्होंने कहा कि हम घर में सो रहे थे। अचानक, एक जोर की आवाज सुनाई दी और हमारे घर की छत पर अचानक विशाल पत्थर और पेड़ गिरने लगे। बाढ़ का पानी घर में घुस गया, जिससे सारे दरवाजे टूट गए। उन्होंने कहा, किसी ने मुझे तो बचा लिया और अस्पताल पहुंचाया, लेकिन मेरी पत्नी के बारे में कुछ जानकारी नहीं मिल पा रही है।

वायनाड का भूस्खलन केवल प्राकृतिक आपदा नहीं है

केरल के वायनाड जिले में मेप्पाङी के पास पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन से 45 लोगों की मौत और 70 लोगों के घायल होने की खबर है। आंकड़े में बढोत्तरी संभावित है।केरल में इसके पहले भी 2018 में 104 और 2019 में 120 मौतें भूस्खलन से हुआ है।जियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट 2021 के अनुसार केरल के पूरे क्षेत्रफल का 43 फिसदी हिस्सा भूस्खलन संभावित क्षेत्र है।वैज्ञानिकों द्वारा 17 राज्यों दो केन्द्र शासित प्रदेशों के 147 जिलों में वर्ष 1998 से 2022 के बीच 80,000 भूस्खलन की घटनाओं के आधार पर जोखिम का आकलन किया है। जिसमें पता चला कि उतराखंड, केरल, जम्मू कश्मीर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में सबसे अधिक भूस्खलन की घटनाएं हुई है। सर्वाधिक भूस्खलन वाले राज्यों की  सूची में पहले नंबर पर मिजोरम, दूसरे पर उतराखंड और तीसरे पर केरल है। भारत विश्व के शीर्ष पांच भूस्खलन संभावित देशों में से एक है। भूस्खलन के प्राकृतिक कारण जैसे अतिवृष्टि, भूकंप,बाढ़ आदि तो है।परन्तु पहाड़ी और पर्वतीय क्षेत्रों में आबादी बढने के साथ ही भूस्खलन को सतत विकास के दृष्टी से भी समझना आवश्यक है।जिसमें अनियंत्रित उत्खनन, पहाङीयों और पेङो की कटाई, अत्यधिक बुनियादी ढांचे का विकास, जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश का पेटर्न बदल जाना शामिल है।कई पहाड़ी इलाकों में भवन निर्माण से जुड़े नियम नहीं है अगर है तो प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन नहीं होता है। 
हिमालय पर्वतों से भी पूरानी पश्चिम घाट जो कि गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु से गुजरता है, जिसके संरक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा 2011 में गाडगिल और 2013 में कस्तूरी रंगन समिति का गठन किया था।बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ मांग करता है कि दोनों समितियों के सुझावों को तत्काल लागू किया जाए जो इस प्रकार है "सभी पश्चिम घाटों पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्रों के रूप में घोषित किया जाए। केवल सीमित क्षेत्रों में सीमित विकास की अनुमति हो।खनन, उत्खनन और रेत खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।

राज कुमार सिन्हा
बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ
सादर प्रकाशनार्थ