देशभर के वकीलों ने सीजे को पत्र लिखकर कहा...न्यायपालिका पर एक समूह का दबाव 

देश के करीब 600 नामी वकीलों ने देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नाम एक चिट्ठी लिखकर आरोप लगाया है कि एक खास समूह देश की न्यायपालिका पर दबाव बनाना चाहता है और उसकी संप्रभुता एवं स्वायत्तता पर हमले कर रहा है। 

Mar 28, 2024 - 14:45
Mar 28, 2024 - 16:44
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देशभर के वकीलों ने सीजे को पत्र लिखकर कहा...न्यायपालिका पर एक समूह का दबाव 
Lawyers from all over the country wrote a letter to the CJ saying...pressure from a group on the judiciary.

600 से ज्यादा वकीलों का पत्र, सियासी हस्तियों का भ्रष्टाचार के केस में दबाव, न्याय पालिका की अस्मिता पर गंभीर खतरा

देश के करीब 600 नामी वकीलों ने देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नाम एक चिट्ठी लिखकर आरोप लगाया है कि एक खास समूह देश की न्यायपालिका पर दबाव बनाना चाहता है और उसकी संप्रभुता एवं स्वायत्तता पर हमले कर रहा है। 

पत्र में सरकार पर सीधा हमला तो नहीं किया गया, लेकिन पत्र परोक्ष रूप से सियासी दबाव की ही बात कर रहा है। वकीलों ने कहा कि सियासी हस्तियों द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में दबाव बनाया जा रहा है और यह दबाव न्यायप्रणाली के लिए गंभीर खतरा है। हालांकि पत्र में वकील किस खास समूह की बात कर रहे हैं, इसका कोई जिक्र नहीं है, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि न्यायपालिका दबाव में काम कर रही है, जिससे इसकी संप्रभुता और  स्वायत्तता पर हमले हो रहे हैं।  चिट्ठी लिखने वालों में  हरीश साल्वे, मनन कुमार मिश्रा, आदिश अग्रवाल, चेतन मित्तल, पिंकी आनंद, हितेश जैन, उज्ज्वला पवार, उदय होल्ला, स्वरूपमा चतुर्वेदी और भारतभर के लगभग 600 से अधिक वकील शामिल हैं।  उनका तर्क है कि ये कार्रवाइयां लोकतांत्रिक ढांचे और न्यायिक प्रक्रियाओं में रखे गए भरोसे के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा करती हैं। बता दें कि बीते बुधवार को आम आदमी पार्टी की वकील विंग ने केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन करने की धमकी दी थी। हालांकि हाईकोर्ट की चेतावनी के बाद प्रदर्शन करने का फैसला रद्द कर दिया गया था।

केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आक्रामकता-

वकीलों के समूह का यह पत्र केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आक्रामकता की पूर्व नियोजित योजना माना जा रहा है। इससे पहले वकीलों ने कल प्रदर्शन की भी तैैयारी की थी। 

क्या है पत्र में-

-पुराने फैसलों की अपने हित में व्याख्या की जा रही है। 
-न्यायाधीशों के सम्मान पर जान बूझकर हमले हो रहे हैं।
-सियासी एजेंडे के तहत तारीफ या आलोचना हो रही है।
-राजनीतिक मुकदमों को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है।
-न्याय पालिका की गरिमा को गिराने के प्रयास किए जा रहे हैं।
-न्यायाधीशों के सम्मान पर सीधा हमला करने का प्रयास।
-न्यायालयों की स्वायत्तता और संप्रभुता खतरे मे।
-बैंच फिक्सिंग का गंभीर आरोप।
-वकीलों का एक समूह न्याय पालिका को प्रभावित करने और अदालतों को बदनाम करने के प्रयासों पर चिंता व्यक्त करता है, खासकर भ्रष्टाचार से जुड़े राजनीतिक मामलों में।