छोटी उम्र से ही सीख रहे सेवादारी का पाठ
गुरुनानक जयंती के दिन शहर में जगह-जगह हुए लंगर और संकीर्तन के दौरान छोटे-छोटे बच्चे भी सेवादारी करते नजर आए। सेवादारी का पाठ हर सिख बचपन से ही सीखता है।
गुरुनानक जयंती के दिन शहर में जगह-जगह हुए लंगर और संकीर्तन के दौरान छोटे-छोटे बच्चे भी सेवादारी करते नजर आए। सेवादारी का पाठ हर सिख बचपन से ही सीखता है। गुरुद्वारे पर लोगों के जूते-चप्पल व्यवस्थित करना हो या फिर लोगों को पानी और शरबत पिलाना हो। लंगर में खाना परोसने से लेकर बर्तन धोने तक का कार्य समुदाय के लोग स्वयं करते हैं। गुरु ग्रंथ साहिब से मिले ज्ञान को स्वीकार करते हुए यहां पर कोई भी बड़ा, छोटा, अमीर, गरीब नहीं होता। सभी एक समान होते हैं और सबके प्रति आदर, सम्मान और सेवा का भाव रखना चाहिए। इसी उपदेश को चरितार्थ करते हुए यहां पर सभी उम्र के लोग अपनी-अपनी सेवादारी करते नजर आते हैं।
बचपन से ही कर रहे सेवादारी
नगर संकीर्तन के दौरान अपनी टीम के द्वारा सड़कों पर झाड़ू लगाने वाले मोहिनूर सिंह बतरा ने बताया कि वे बचपन से ही सेवादारी कर रहे हैं। जब वे इस तरह के कार्य करते हैं तो इससे अलग ही सुकून मिलता है। इसके लिए वे अन्य लोगों को भी प्रेरित करते हैं। शहर में होने वाले लंगरों पर भी वे किसी न किसी तरह की सेवादारी करते हैं और उनके साथ पूरा परिवार इस कार्य को करता है। धर्म में सेवादारी का पाठ पढ़ाया जाता है। जिसे पूरी शिद्दत के साथ निभाने की कोशिश हर वक्त रहती है।
अन्य धर्मों के लोगों को भी मिल रही प्रेरणा
सिखों के प्रकाश पर्व पर होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में जब लोग सिख समुदाय के बच्चों, बड़ो और बूढ़ों को सेवा करते हुए देखते हैं, तो उन्हें भी इसमें हिस्सा लेने की प्रेरणा मिलती है। शहर में बड़े पैमाने पर होने वाले लंगरों में सिर्फ सिख ही सेवादारी नहीं करते, बल्कि अन्य समुदाय के लोग भी खाना परोसते नजर आते हैं। लंगर सभी के लिए होता है उन्हें यहां पर किसी भी प्रकार का कोई शुल्क नहीं देना होता, लेकिन यदि आपने सेवादारी कर दी तो आपको इसके बेहतर परिणाम देखने को मिलने हैं। रब की महर आप पर बनी रहती है। इसलिए किसी ने किसी रूप में सेवादारी करते रहना चाहिए।