लोकसभा चुनाव: कांग्रेस के बड़े नेताओं ने बनाई दूरी
कांग्रेस इस बार आधे-अधूरे मन से लोकसभा चुनाव में नजर आ रही है। बड़े नेता चुनाव से दूरी बना रहे है और हाईकमान की मंशा के बावजूद बड़े नेता चुनाव नहीं लड़ रहे है,जबकि पिछले चुनाव में विवेक तनखा, अजय सिंंह राहुल, मीनाक्षी नटराजन, अरुण यादव जैसे नेता मैदान मेें थे,लेकिन इस बार वे उम्मीदवार नहीं बने।
मध्य प्रदेश की कई सीटों पर हाईकमान की मंशा के बाद भी चुनाव लड़ रहे
कांग्रेस इस बार आधे-अधूरे मन से लोकसभा चुनाव में नजर आ रही है। बड़े नेता चुनाव से दूरी बना रहे है और हाईकमान की मंशा के बावजूद बड़े नेता चुनाव नहीं लड़ रहे है,जबकि पिछले चुनाव में विवेक तनखा, अजय सिंंह राहुल, मीनाक्षी नटराजन, अरुण यादव जैसे नेता मैदान मेें थे,लेकिन इस बार वे उम्मीदवार नहीं बने। नकूल नाथ और दिग्विजय सिंह जरूर इस बार भी चुनावी मैदान मेें है,जबकि सिंह को पिछले लोकसभा चुनाव मेें भोपाल लोकसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा था। लोकसभा चुनाव आते ही भाजपा ने कांग्रेस में तोड़फोड़ मचाना शुरू कर दी है। कई पूर्व विधायक, सांसदों ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है। इस वजह से बड़े कांग्रेस नेता चुनावी तैयारियों पर फोकस करने के बजाए फिलहाल डेमेज कंट्रोल मेें जुटे है।
दो चुनाव में भाजपा रही भारी-
मध्य प्रदेश में 29 लोकसभा सीटें है। वर्ष 2014 के चुनाव मेें कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटे मध्य प्रदेश मेें मिली थी। कमल नाथ छिंदवाड़ा और ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से चुनाव जीते थे,लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव मेें तो सिंधिया को हार का सामना करना पड़ा था। उसके छह माह बाद ही वे भाजपा में शामिल हो गए थे। पिछले चुनाव में कांग्रेस के पास एक मात्र छिंदवाड़ा सीट थी। इस बार भाजपा ने वहां भी जोर लगा रखा है, हाल ही में कांग्रेस के मेयर ने भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा कहते है कि लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश के परिणामों के कारण कांग्रेस नेता अपना राजनीतिक कैरियर दांव पर नहीं लगाना चाहते। दिल्ली से दबाव बजाए जाने के बावजूद कांग्रेस के बड़े नेता चुनाव नहीं लड़ रहे है। यह उनकी हताशा दर्शाता है।
पटवारी, सज्जन नहीं चुनावी मैदान मेें-
विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सांसद और केंद्रीय मंत्रियों को विधानसभा चुनाव में टिकट दिया था। कांग्रेस के रणनीतिकार भी चाहते थे कि इस बार बड़े नेता चुनावी मैदान में नजर आए। इंदौर में हुई बैैठक में स्थानीय नेता चाहते थे कि इंदौर से पटवारी चुनाव लड़े,ताकि मुकाबला टक्कर का रहे, लेकिन पटवारी ने अक्षय बम का नाम आगे बढ़ाया। देवास सीट से पहले सज्जन सिंह वर्मा का नाम चर्चा में था, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। इसके बाद राजेंद्र मालवीय को टिकट दिया गया। अरूण यादव भी चुनाव लड़ना नहीं चाहते, लेकिन खंडवा सीट से बड़े नेता उन पर चुनाव लड़ने के लिए दबाव बना रहे है। इस कारण अभी भी यह सीट होल्ड पर है। विवेक तनखा, उमंग सिंगार, बाला बच्चन जैसे नेता भी इस बार उम्मीदवार नहीं बने।