एमबीबीएस का बदला सिलेबस, प्रैक्टिकल स्किल पर दिया जाएगा जोर
मेडिकल की पढ़ाई कर रहे या नीट की तैयारी कर रहे लोगों के लिए बड़ी खबर है। भारत में मेडिकल एजुकेशन का पैटर्न बदल दिया गया है। नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) अब एमबीबीएस की पढ़ाई में कॉम्पिटेंसी-बेस्ड मेडिकल एजुकेशन (CBME) पाठ्यक्रम लागू करने वाला है।
मेडिकल की पढ़ाई कर रहे या नीट की तैयारी कर रहे लोगों के लिए बड़ी खबर है। भारत में मेडिकल एजुकेशन का पैटर्न बदल दिया गया है। नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) अब एमबीबीएस की पढ़ाई में कॉम्पिटेंसी-बेस्ड मेडिकल एजुकेशन (CBME) पाठ्यक्रम लागू करने वाला है। इसे लेकर नई गाइडलाइन्स जारी कर दी गई हैं। नए सीबीएमई दिशानिर्देश भारत के सभी मेडिकल कॉलेजों के लिए अनिवार्य होंगे। संस्थानों को उनका कड़ाई से पालन करना होगा। ये दिशानिर्देश पिछले पाठ्यक्रम को बदल देंगे और 2024-25 के एमबीबीएस बैच से लागू होंगे।
एमबीबीएस में CBME करिकुलम क्या है?
सीबीएमई का फुल फॉर्म है- कॉम्पिटेंसी बेस्ड मेडिकल एजुकेशन। ये पाठ्यक्रम इंडियन मेडिकल ग्रेजुएट्स की एक नई पीढ़ी के लिए डिजाइन किया गया है। ये नए डॉक्टर्स को लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा देने वालों के रूप में काम करने के लिए तैयार करेगा। उसके लिए जरूरी नॉलेज, स्किल और विजन से लैस करेगा।
थ्योरेटिकल नॉलेज पर जोर देने वाले पारंपरिक सिलेबस से उलट, सीबीएमई करिकुलम प्रैक्टिकल कंपीटेंसी और रियल वर्ल्ड एप्लिकेशंस पर फोकस्ड है। यह सुनिश्चित करता है कि मेडिकल स्टूडेंट्स विभिन्न प्रकार के मेडिकल कंडीशन का प्रभावी ढंग से निदान, उपचार और प्रबंधन कर सकें। ये सिलेबस 5 मुख्य बिंदुओं पर केंद्रित होगा।
1. आउटकम बेस्ड लर्निंग
नया पाठ्यक्रम ब्रॉड कंपीटेंसी से हटकर, डिटेल्ड और पेज स्पेसिफिक सब्जेक्ट कंपीटेंसी पर फोकस करता है। यह सुनिश्चित करता है कि छात्र न केवल सैद्धांतिक अवधारणाओं से परिचित हैं, बल्कि व्यावहारिक परिदृश्यों में भी उन्हें लागू कर सकते हैं। ध्यान ऐसे मेडिकल ग्रेजुएट तैयार करने पर है जो अपनी प्रैक्टिस के पहले दिन से ही वास्तविक जीवन की स्थितियों को संभालने के लिए तैयार रहें।
2. एकीकृत दृष्टिकोण (Integrated Approach)
सब्जेक्ट्स को वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल दोनों तरह से जोड़कर आगे बढ़ाने पर जोर है। हॉरिजॉन्टल इंटिग्रेशन का मतलब एक फेज में विभिन्न सब्जेक्ट्स में टॉपिक्स को अलाइन करना है। जबकि वर्टिकल इंटिग्रेशन विभिन्न चरणों में विषयों को जोड़ता है। यह दृष्टिकोण छात्रों को विभिन्न मेडिकल सब्जेक्ट्स के इंटर-कनेक्शन को समझने में मदद करता है। जिससे वे अपनी नॉलेज का एप्लिकेशन सीखते हैं।
3. नैतिकता और संचार (Ethics & Communication)
एनएमसी की नई गाइडलाइन नैतिक मूल्यों, कम्युनिकेशन स्किल और प्रोफेशनलिज्म के विकास पर जोर देती है। AETCOM (एटिट्यूड, एथिक्स और कम्युनिकेशन) नामक एक नया मॉड्यूल पेश किया गया है, जो भविष्य के डॉक्टरों में ये जरूरी चीजें विकसित पर केंद्रित है। मॉड्यूल का उद्देश्य डॉक्टरों में सहानुभूति, सम्मान और पेशेवर आचरण के मूल्यों को स्थापित करना है, जो मरीजों की देखभाल के लिए जरूरी हैं।
4 लर्नर सेंट्रिक एजुकेशन
एमबीबीएस का नया करिकुलम ज्यादा सीखने वालों और रोगियों पर केंद्रित है। ये मेडिकल स्टूडेंट्स से ज्यादा एक्टिव पार्टिसिपेशन और सेल्फ डायरेक्टेड लर्निंग को प्रमोट करता है। इसमें इंटरैक्टिव टीचिंग मेथड्स शामिल किए गए हैं, जैसे- प्रॉब्लम बेस्ड लर्निंग, केस स्टडी और कम्युनिटी-बेस्ड लर्निंग।
5. प्रैक्टिकल स्किल्स पर जोर
प्रैक्टिकल स्किल और प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस नए पाठ्यक्रम के केंद्र में हैं। स्टूडेंट्स को जरूरी मेडिकल प्रोसीजर करने, इमरजेंसी मैनेज करने, मरीज की व्यापक देखभाल करने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि नए डॉक्टर लोगों के बीच फर्स्ट कॉन्टैक्ट फीजिशियन के रूप में काम करने के लिए बेहतर तैयार हों।