एमपी हाईकोर्ट प्रशासन ने सीजे बंगले में हनुमान मंदिर होने से किया इंकार
हाईकोर्ट प्रशासन ने चीफ जस्टिस के बंगले में कभी भी हनुमान मंदिर होने से इंकार किया है। हाईकोर्ट प्रशासन का कहना है कि इसकी पुष्टि पीडब्ल्यूडी विभाग कर सकते है।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने तोड़ने की शिकायत के संबंध में लिखा था पत्र
द त्रिकाल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट प्रशासन ने चीफ जस्टिस के बंगले में कभी भी हनुमान मंदिर होने से इंकार किया है। हाईकोर्ट प्रशासन का कहना है कि इसकी पुष्टि पीडब्ल्यूडी विभाग कर सकते है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के शासकीय बंगले में बने प्राचीन हनुमान मंदिर को हटाये जाने के संबंध में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जबलपुर की तरफ से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कानून मंत्री, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को मामले की उच्च स्तरीय जांच के संबंध में पत्र लिखा था।
इस संबंध में जब हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल धरमिंदर सिंह से शिकायत के संबंध में चर्चा की गयी तो उनका कहना था कि चीफ जस्टिस के शासकीय बंगले में हनुमान मंदिर नही था,तो उसे कैसे हटाया जा सकता है। शिकायत झूठी व गलत है। इस पुष्टि पीडब्ल्यूडी कर सकते है। गौरतलब है कि प्रदेश के पुलिस थाने में धार्मिक स्थल का निर्माण किये जाने के खिलाफ एक अधिवक्ता की तरफ से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी। जिसमें कहा गया था कि पुलिस थाना परिसर सार्वजनिक स्थल है।
सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक स्थलों का निर्माण नहीं किया जा सकता है। हाईकोर्ट के वर्तमान चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली युगल पीठ ने याचिका की सूचना करते हुए सरकार को नोटिस जारी करते हुए यथा स्थिति के आदेष जारी किये थे। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने याचिका में इंटर विनर बनने का आवेदन दायर किया था, जिस पर सुनवाई लंबित है।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया तथा कानून मंत्री को एक पत्र लिखा था। जिसमें कहा गया था कि एसोसिएशन को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत के शासकीय बंगले में स्थित प्राचीन मंदिर को तोड़े जाने की शिकायत प्राप्त हुई है। जिससे अधिवक्ता संघ तथा आम लोग में दुख व आक्रोष व्याप्त है। पूर्व में पदस्थ चीफ जस्टिस प्राचीन मंदिर में पूजा पाठ कर दैनिक कार्य प्रारंभ करते थे। दूसरे वर्ग के चीफ जस्टिस की नियुक्ति होने के बावजूद भी कर्मचारियों द्वारा मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती थी। शासन की बिना अनुमति तथा वैधानिक आदेश पारित किये बिना मंदिर से छेडछाड करते हुए उसे नष्ट कर देश की बहुसंख्यक सनातन प्रेमी जनता को अपमानित करने के साथ-साथ शासकीय संपत्ति का विरूपण किया गया है। उच्च स्तरीय जांच की मांग पत्र में की गयी थी।