एमएसएमई की बदली परिभाषा, 1 अप्रैल से लागू होंगे नए नियम 

सरकार ने MSME की परिभाषा बदल दी है, जिसके तहत अब निवेश और टर्नओवर के आधार पर यह निर्धारित किया जाएगा कि कोई व्यवसाय माइक्रो, स्मॉल या मीडियम कैटेगरी में आएगा।

Mar 24, 2025 - 14:46
Mar 24, 2025 - 15:27
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एमएसएमई की बदली परिभाषा, 1 अप्रैल से लागू होंगे नए नियम 
MSME definition changed new rules will be applicable from April 1

अगर आप कोई छोटा व्यवसाय शुरू करने की योजना बना रहे हैं, तो MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) से जुड़े नए नियमों को जानना जरूरी है। सरकार ने MSME की परिभाषा बदल दी है, जिसके तहत अब निवेश और टर्नओवर के आधार पर यह निर्धारित किया जाएगा कि कोई व्यवसाय माइक्रो, स्मॉल या मीडियम कैटेगरी में आएगा। ये नए नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे।

1 फरवरी को पेश किए गए बजट में सरकार ने MSME के नए नियमों की घोषणा की थी। इन नियमों के लागू होने के बाद MSME की पहचान नए तरीके से की जाएगी, जिससे छोटे उद्योगों को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। सरकार ने MSME के लिए निवेश और कारोबार की सीमा बढ़ा दी है, जिससे अब अधिक निवेश और बड़े पैमाने पर कारोबार करने वाले उद्योग भी इस श्रेणी में शामिल हो सकेंगे।

MSME नियमों में हुआ बदलाव

सरकार ने MSME की पहचान के लिए निवेश और कारोबार की सीमा बढ़ा दी है। निवेश की सीमा 2.5 गुना और कारोबार की सीमा 2 गुना कर दी गई है, जिससे अधिक MSME सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।

नए निवेश मानदंड:

- माइक्रो एंटरप्राइजेज: अब 2.5 करोड़ रुपये तक के निवेश वाले उद्योग इस श्रेणी में आएंगे, जो पहले 1 करोड़ रुपये था।

- स्मॉल एंटरप्राइजेज: निवेश सीमा 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 25 करोड़ रुपये कर दी गई है।

- मीडियम एंटरप्राइजेज: पहले 50 करोड़ रुपये की निवेश सीमा थी, जिसे बढ़ाकर 125 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

नए टर्नओवर मानदंड:

- माइक्रो एंटरप्राइजेज: 10 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाले उद्योग इसमें आएंगे, जो पहले 5 करोड़ रुपये था।

- स्मॉल एंटरप्राइजेज: टर्नओवर सीमा 50 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये कर दी गई है।

- मीडियम एंटरप्राइजेज: पहले यह सीमा 250 करोड़ रुपये थी, जिसे अब 500 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

नियमों में बदलाव की जरूरत क्यों पड़ी?

1 फरवरी को बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि देश में 1 करोड़ से अधिक MSME पंजीकृत हैं, जो 7.5 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं और देश की मैन्युफैक्चरिंग का 36% हिस्सा हैं। साथ ही, MSME भारत के कुल निर्यात का 45% योगदान देते हैं।

इस बदलाव का उद्देश्य MSME को बेहतर तकनीक, अधिक वित्तीय सहयोग और विस्तार के अवसर देना है, जिससे वे आगे बढ़ सकें और अधिक रोजगार उत्पन्न कर सकें।