त्योहारों का महासंगम: गुड़ी पड़वा, चेटीचंड और चैत्र नवरात्रि का उत्सव

इस साल मध्य भारत में तीन प्रमुख त्योहारों का संगम हो रहा है, जो धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्साह से भरा हुआ है।

Mar 29, 2025 - 15:21
 47
त्योहारों का महासंगम: गुड़ी पड़वा, चेटीचंड और चैत्र नवरात्रि का उत्सव
Mahasangam of festivals: Celebration of Gudi Padwa, Cheti Chand and Chaitra Navratri

इस साल मध्य भारत में तीन प्रमुख त्योहारों का संगम हो रहा है, जो धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्साह से भरा हुआ है।

गुड़ी पड़वा - हिंदू नववर्ष की शुरुआत

गुड़ी पड़वा का त्योहार इस साल 30 मार्च को मनाया जाएगा। यह दिन हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है और इसे महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में धूमधाम से मनाया जाता है।

महाराष्ट्र में: लोग अपने घरों के बाहर रंग-बिरंगे गुड़ी (बांस पर लाल या पीले कपड़े, आम-नीम की पत्तियां, फूल और कलश) लगाते हैं, जो विजय और समृद्धि का प्रतीक है।

गोवा और कोंकण क्षेत्र: इसे 'संवत्सर पाडवो' के रूप में मनाया जाता है।

कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना: इसे 'युगादी' या 'उगादी' के नाम से जाना जाता है, जहां लोग नए साल की शुरुआत अच्छे संकल्पों के साथ करते हैं।

इस बार गुड़ी पड़वा के साथ विक्रम संवत 2082 का भी आरंभ होगा।

चेटी चंड - सिंधी समुदाय का महत्वपूर्ण पर्व-

चेटी चंड, जिसे झूलेलाल जयंती के नाम से भी जाना जाता है, सिंधी समुदाय के लिए एक अत्यंत पवित्र और शुभ पर्व है। यह त्योहार भगवान झूलेलाल के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें वरुण देव का अवतार माना जाता है और सिंधी समाज के रक्षक माने जाते हैं।

यह त्योहार सिंधी समाज की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, जो सत्य, अहिंसा, भाईचारे और प्रेम के मूल्यों को उजागर करता है। जब सिंध क्षेत्र में मिरखशाह नामक शासक ने धर्म परिवर्तन का आदेश दिया था, तब भगवान झूलेलाल ने अपनी दिव्य शक्ति से धर्म की रक्षा की और भक्तों को संकट से उबारा। इस घटना के स्मरण के रूप में यह पर्व मनाया जाता है।

मुख्य अनुष्ठान: लकड़ी का मंदिर बनाना, जिसमें जल का कलश और दीपक रखा जाता है, जिसे 'बहिराणा साहब' कहा जाता है।

विशेष आयोजन: भजन-कीर्तन, शोभायात्रा और प्रसाद वितरण।

2025 की तिथि-

प्रतिपदा तिथि प्रारंभ - 29 मार्च 2025 को शाम 4:27 बजे

समाप्ति - 30 मार्च 2025 को दोपहर 12:49 बजे

पूजा मुहूर्त - 30 मार्च को शाम 6:38 से 7:45 बजे तक

चैत्र नवरात्रि - शक्ति की उपासना का पावन पर्व

चैत्र नवरात्रि का शुभ आयोजन 30 मार्च से 6 अप्रैल 2025 तक होगा। यह त्योहार देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का प्रतीक है और शक्ति, साधना और आध्यात्मिक उन्नति का पर्व माना जाता है। इस वर्ष नवरात्रि का विशेष महत्व है क्योंकि यह रविवार से शुरू हो रही है और इस बार माता दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी, जिसे शास्त्रों में बेहद ही शुभ माना गया है।

चैत्र नवरात्रि की तिथि-

प्रतिपदा (मां शैलपुत्री): 30 मार्च

द्वितीया (मां ब्रह्मचारिणी) और तृतीया (मां चंद्रघंटा): 31 मार्च

चतुर्थी (मां कुष्मांडा): 1 अप्रैल

पंचमी (मां स्कंदमाता): 2 अप्रैल

षष्ठी (मां कात्यायनी): 3 अप्रैल

सप्तमी (मां कालरात्रि): 4 अप्रैल

अष्टमी (मां महागौरी): 5 अप्रैल

नवमी (मां सिद्धिदात्री): 6 अप्रैल

घटस्थापना मुहूर्त:

शुभ मुहूर्त: 30 मार्च को सुबह 6:13 से 10:22 बजे तक (अवधि: 4 घंटे 8 मिनट)

अभिजीत मुहूर्त (अगर शुभ मुहूर्त न चूकें): दोपहर 12:01 से 12:50 बजे तक

पूजन विधि:

  • घर के ईशान कोण में मिट्टी का कलश स्थापित करें।
  • उसमें जौ और थोड़ी मिट्टी डालें, फिर पूजा करें।
  • कलश के ऊपर लाल मौली बांधें, उसमें सिक्का, सुपारी, लौंग, दूर्वा घास डालें।
  • आम के पत्तों से ढककर नारियल रखें और फल, मिठाई व प्रसाद अर्पित करें।

पूजन सामग्री:

हल्दी, कुमकुम, कपूर, जनेऊ, आम के पत्ते, सुपारी, नारियल, अक्षत, पंचामृत, फूल, फल, मिठाई, आदि।