आर्थिक सुधारों के हीरो मनमोहन सिंह विदा
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 92 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर है।

दिग्गज नेताओं ने जताया दुख, सात दिन का राजकीय शोक
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 92 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निधन की खबर ने पूरे देश में शोक की लहर है। कांग्रेस पार्टी के कई वरिष्ठ नेता, जिनमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा भी शामिल हैं, दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री के आवास पर पहुंचे। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा भी श्रद्धांजलि देने उनके आवास पर पहुंचे। इस दौरान मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरण कौर मौजूद रहीं।
सात दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा
केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 26 दिसंबर, 2024 को नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में अंतिम सांसें ली। सरकार ने 26 दिसंबर, 2024 से 1 जनवरी, 2025 तक पूरे देश में सात दिनों का राजकीय शोक घोषित किया है। इस अवधि के दौरान, जहां भी राष्ट्रीय ध्वज पारंपरिक रूप से फहराया जाता है, वहां उसे आधा झुका दिया जाएगा और सभी सरकारी कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया जाएगा।
उच्च पदों पर रहें मगर जड़ नहीं भूले:मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी। इससे पहले उन्होंने शोक संदेश में कहा, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का जीवन देशवासियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहा। एक अर्थशास्त्री के रूप में उन्होंने अलग-अलग स्तर पर भारत सरकार में सेवाएं दीं। उन्होंने रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में सेवाएं दीं। पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री रहे और देश में आर्थिक उदारीकरण की नींव रखी। जनता के प्रति, देश के विकास के प्रति उनका जो समर्पण था, उसे हमेशा सम्मान से देखा जाएगा। डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन ईमानदारी और सादगी का प्रतीक था। उनकी विनम्रता और बौद्धिकता उनके व्यक्तित्व का अहम हिस्सा थीं। मुझे याद है, जब उनका राज्यसभा में कार्यकाल समाप्त हुआ था, तो मैंने कहा था कि एक सांसद के रूप में उनका समर्पण अनुकरणीय है। उच्च पदों पर रहते हुए भी उन्होंने कभी अपनी जड़ों को नहीं भुलाया और वे हमेशा सभी के लिए आसानी से उपलब्ध रहे। जब मैं मुख्यमंत्री था तो मनमोहन सिंह के साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर खुले मन से चर्चा होती थी। दिल्ली आने के बाद भी उनसे समय-समय पर चर्चा होती थी, वो चर्चाएं और मुलाकातें मुझे हमेशा याद रहेंगी।