युवक के बदन पर पुलिस की बर्बरता के निशान
एक युवक को बर्बर तरीके से पीटने वाले जबलपुर जिले के शहपुरा थाने के पुलिस स्टाफ के खिलाफ जनाक्रोश भड़क रहा है।

- जबलपुर की शहपुरा थाना पुलिस का शर्मनाक चेहरा: सिर्फ शराब बेचने की सूचना पर किया अधमरा
द त्रिकाल डेस्क, जबलपुर। एक युवक को बर्बर तरीके से पीटने वाले जबलपुर जिले के शहपुरा थाने के पुलिस स्टाफ के खिलाफ जनाक्रोश भड़क रहा है। पुलिस पर आरोप है कि उसने युवक इस कदर पीटा कि उससे बैठते-उठते नहीं बन रहा था,इसके बाद पुलिस ने उसे अस्पताल पहुंचाने की बजाए पाटन जेल भिजवा दिया। युवक का नाम सुदर्शन है, वो कुलोन गांव का रहने वाला है। शहपुरा पुलिस ने सुदर्शन के घर से अवैध शराब की बिक्री की सूचना पर उसे उठाया था और पूछताछ के लिए थाने लाया गया था।
जेल में और बिगड़ गयी हालत-
चार दिन बाद उसकी हालत बिगड़ने के बाद उसे जेल से रिहा कर बहन के सुपुर्द किया गया। जिसके बाद वह एक समाजसेवी के पास पहुंचा और सारी घटना बताई। समाजसेवी ने सीएम से इस मामले में कार्रवाई की मांग की है। इधर, एएसपी आनंद कलादगी ने कहा कि पुलिस पर लगे आरोप निराधार हैं। पीड़ित की शिकायत पर जांच कराई जा सकती है।
झूठा केस दर्ज कर थाने में पीटा-
शहपुरा के समाजसेवी जंग बहादुर ने आरोप लगाया कि सुदर्शन सिंह (48) के घर पर पुलिस ने अवैध शराब के शक में छापा मारा था। जब उन्हें वहां शराब नहीं मिली तो उसे जमकर पीटा। उस पर झूठा मामला दर्ज कर थाने में बंदकर पीटा। उन्होंने कहा कि मारपीट के बाद उसे तहसीलदार की कोर्ट में पेश किया गया। जहां से उसे जेल भेज दिया गया। उसे इतना मारा कि वह न ही ढंग से चल पा रहा है, न बैठ पा रहा है। उसकी पीठ, कमर और आंख में चोट आई है।
पुलिस कह रही छेड़खानी कर रहा था-
इस मामले में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि युवक क्षेत्रीय विधायक ने शराबबंदी के खिलाफ पूरे विधानसभा में पदयात्रा की थी। 9 अप्रैल को पदयात्रा शहपुरा में थी। इस दौरान सुदर्शन सिंह ने महिलाओं के साथ छेड़खानी की थी, जिसके कारण उसे भीड़ ने मारा था। सुदर्शन के खिलाफ अवैध शराब बेचने के कई मामले दर्ज हैं।
जेल रजिस्टर में दर्ज है चोटों का ब्यौरा-
पाटन उप-जेल के जेलर हेमेंद्र बागरी ने बताया कि 9 अप्रैल को शहपुरा थाना पुलिस बीएनएस की धारा 170, 171 के तहत जेल लेकर आई थी। सुदर्शन जब जेल आया था, उस दौरान पहले से ही उसके शरीर पर निशान थे। इसका रजिस्टर में उल्लेख करने के बाद पुलिस और पीड़ित से साइन भी करवाए थे। सुदर्शन 9 अप्रैल से 13 अप्रैल तक जेल में था। 14 तारीख की सुबह जेल से तहसीलदार को जानकारी दी गई कि सुदर्शन की हालत बिगड़ रही है, उसे इलाज की जरूरत है। इसके बाद उसे जेल से रिहा कर दिया था।