एमपी की चार लोकसभा सीटों पर गड़बड़ाया जीत का गणित
मप्र की सभी 29 लोकसभा सीटों को जीतने के लिए भाजपा ने विधानसभा चुनाव के साथ ही तैयारी शुरू कर दी थी। प्रदेश में चार चरणों में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने पूरा दम लगा दिया। लेकिन मतदाताओं के मौन और कम मतदान ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है।
रतलाम, राजगढ़, छिंदवाड़ा और मंडला के बूथ सर्वे ने भाजपा की बढ़ाई चिंता
मप्र की सभी 29 लोकसभा सीटों को जीतने के लिए भाजपा ने विधानसभा चुनाव के साथ ही तैयारी शुरू कर दी थी। प्रदेश में चार चरणों में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने पूरा दम लगा दिया। लेकिन मतदाताओं के मौन और कम मतदान ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में भाजपा ने बूथ सर्वे कराकर अपनी स्थिति का आकलन कराया है तो उसमें चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। बूथ सर्वे में रतलाम, राजगढ़, छिंदवाड़ा और मंडला सीट पर भाजपा की जीत का गणित गड़बड़ा रहा है। हालांकि इसके बार भी पार्टी के नेता दावा कर रहे हैं कि भाजपा प्रदेश की सभी 29 सीटें जीतेगी।
गौरतलब है कि हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाने के लक्ष्य के साथ भाजपा चुनावी मैदान में उतरी थी। पार्टी की रणनीति थी कि इससे भाजपा सभी 29 सीटें आसानी से जीत जाएगी। भाजपा के नेताओं का मानना है कि मोदी मैजिक के चलते इन सीटों पर उसे विजय मिल जाएगी। 2019 के चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की 29 में से 28 सीटें जीत कर इतिहास रच दिया था। भाजपा ने लोकसभा चुनाव में अपनी जीत पक्की करने के लिए कार्यकर्ताओं को बूथ जीता चुनाव जीता का मंत्र पहले ही दे दिया था। इसके लिए पार्टी बूथ पर पन्ना प्रमुख और अर्धपन्ना प्रमुख नियुक्त किए थे, जिन पर बूथ के मतदाताओं को पार्टी के पक्ष में मतदान कराने की जवाबदारी थी।
मप्र में चार चरणों में हुए लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद भाजपा सभी 29 सीटों पर जीतने के दावे को पक्का करने के लिए बूथ स्तर पर सर्वे कराया है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि किस सीट पर पार्टी कितने अंतर से जीत रही है और किस सीट पर उसे विपक्षी दल से टक्कर मिल रही है। इस सर्वे में उसे चार सीटों रतलाम-झाबुआ, मंडला, छिंदवाड़ा और राजगढ़ में कांटे की टक्कर होने की रिपोर्ट मिली है। इससे उसकी चिंता बढ़ गई है। अब रिपोर्ट ली जा रही है कि वे बूथ पर कितने मतदाताओं से मतदान कराने में कितने सफल रहे। इसके अलावा बूथ स्तर पर एजेंट, बूथ प्रभारी एवं बूथ अध्यक्ष की टीम बनाई थी, जिसे त्रिदेव नाम दिया गया था। इनसे भी बूथ की पूरी जानकारी मांगी गई है। इस तरह भाजपा यह मालूम करना चाह रही है कि बूथ पर जो मतदान हुआ है उसमें उसके पक्ष में कितने वोट पड़े हैं। हालाकि मतदान की प्रक्रिया गोपनीय है फिर भी भाजपा इस तरह से मालूम करना चाह रही है कि बूथ पर जो मतदान हुआ है, उसमें उसे कितने वोट प्राप्त हो सकते हैं। इन त्रिदेव से बूथ पर जातिगत आधार पर मतदान के बारे में भी जानकारी ली जा रही है।
कांग्रेसी दिग्गजों की सीट पर फोकस
भाजपा का फोकस प्रदेश की उन सीटों पर है जहां से कांग्रेस ने दिग्गज प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। इन सीटों में सबसे पहले नाम आता है छिंदवाड़ा सीट का जिसे भाजपा इस बार अपने खाते में डालने के लिए पूरे प्रयास कर चुकी है। साथ ही कांग्रेस के इस गढ़ को भेदकर वह इस सोच को बदलना चाहती है कि यह सीट कांग्रेस का अभेद किला है। यहां से भाजपा ने विवेक बंटी साहू को मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ से है। नकुलनाथ पिछली बार महज 36 हजार से चुनाव जीते थे। यही वजह है कि भाजपा की उम्मीदें इस बार उफान मार रही हैं। भाजपा के दिग्गजों ने इस बार यहां जोर लगाया है। इसके कारण कमलनाथ चुनाव तक छिंदवाड़ा से बाहर नहीं निकल सके। इसके अलावा भाजपा ने राजगढ़ सीट को अपनी विशेष महत्व वाली सूची में रखा है। यहां से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मैदान में हैं। भाजपा जानती है कि दिग्विजय सिंह की राजगढ़ क्षेत्र में कैसी पकड़ है। वे पूर्व में दो बार यहां से सांसद रह चुके हैं। इसके बाद उनके भाई लक्ष्मण सिंह भी यहां का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। सिंह का मुकाबला भाजपा के दो बार के सांसद रोडमल नागर से है। वहीं आदिवासी अंचल की सीट मंडला में भी कांटे की टक्कर मानी जा रही है। यहां से भाजपा ने विधानसभा चुनाव हार चुके केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते पर एक बार फिर दांव लगाया है, तो कांग्रेस ने भी ओमकार सिंह मरकाम को मैदान में उतारा है। इसी प्रकार रतलाम-झाबुआ सीट पर भाजपा ने महिला प्रत्याशी अनिता नागर सिंह चौहान को टिकट दिया है, जहां उनका मुकाबला कांग्रेस के कद्दावर आदिवासी नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया से है। कांतिलाल यहां से चार बार सांसद रह चुके हैं। वे 2015 में हुए उपचुनाव में जीते थे पर 2019 में भाजपा के गुमान सिंह डामोर से हार गए थे। भाजपा ने इस बार डामोर का टिकट काटकर वन मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता को मैदान में उतारा है। नब्बे फीसदी आदिवासी मत वाली इस सीट पर भील और भिलाला समुदाय के बीच मतों का बंटवारा होता रहा है। कांतिलाल भील जाति से आते हैं तो अनीता भिलाला समाज से आती हैं। अब मतदान संपन्न होने के बाद पार्टियां अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही हैं। किसको मतदाताओं का साथ मिला है यह 2 जून को साफ हो जाएगा।