पुणे पोर्श कांड में नाबालिग को मिली जमानत, जबलपुर की अश्विनी की मां ने कहा...मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा
महाराष्ट्र के पूणे में विगत 19 मई 2024 की रात करीब 2 बजे कथित तौर पर शराब के नशे में धुत 17 वर्षीय नाबालिग आरोपी ने तेज़ स्पीड से पोर्श कार से बाइक सवार दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों अनीश और अश्विनी कोष्टा को टक्कर मार दी थी। जिससे उनकी मौत हो गई थी। बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाबालिग आरोपी की जमानत याचिका मंजूर कर ली।
त्रिकाल डेस्क। मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर के रामपुर इलाके में रहने वाली अश्विनी कोष्टा की पुणे में पोर्शे कार से हुए सड़क हादसे में दर्दनाक मौत हो गई थी। उल्लेखनीय है कि 19 मई 2024 की रात करीब 2 बजे कथित तौर पर शराब के नशे में धुत 17 वर्षीय नाबालिग आरोपी ने तेज़ स्पीड से पोर्श कार से बाइक सवार दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों अनीश और अश्विनी कोष्टा को टक्कर मार दी थी। जिससे उनकी मौत हो गई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज नाबालिग आरोपी की जमानत याचिका मंजूर कर ली। जिसपर जबलपुर में रहने वाली अश्विनी की मां ममता कोष्टा ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि माननीय न्यायमूर्ती मेरा दर्द समझेंगे। मैंने अपनी बेटी को खोया है। और भी ना जाने कितनी बेटियां अपने माता-पिता से दूर रहकर जॉब कर रही हैं। बस...बेटियां नाउम्मीद न हों।
कोर्ट ने क्या कहा
जस्टिस भारती डांगरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की बेंच नाबालिग को राहत देते हुए कहा कि एक्सीडेंट दुर्भाग्यपूर्ण था, लेकिन नाबालिग को ऑब्जर्वेशन होम में नहीं रखा जा सकता। इधर, अश्विनी की मां ने जबलपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि मुझे न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है, कोर्ट ने कुछ सोचकर ही ये फैसला दिया होगा। ममता कोष्ठा का कहना है कि हादसे के बाद से महाराष्ट्र सरकार ने भी भरोसा दिलाया है कि न्याय जरूर मिलेगा। ममता ने कहा कि कोर्ट ने आरोपी को जमानत देते हुए कुछ ना कुछ सोचा जरूर होगा। ममता ने कहा कि अश्विनी जैसी हजारों बेटीयां पुणे में रहकर पढ़ाई कर रही है, वहां पर जॉब कर रही है, इसलिए अब इस तरह का हादसा बार-बार ना हो।
बाकी परिजन जेल में हैं
बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाबालिग को जमानत देते हुए कहा कि, नाबालिग के माता-पिता और दादा भी जेल में हैं इसलिए नाबालिग की कस्टडी उनकी मौसी को देते हैं और नाबालिग अब अपनी मौसी के साथ ही रहेगा। हाई कोर्ट ने कहा कि आरोपी की उम्र पर विचार नहीं किया गया। जिस दिन ये घटना हुई थी, तो नाबालिग को उसी दिन किशोर न्याय बोर्ड ने जमानत दे दी थी और उसे अपने माता-पिता की देखरेख में रहने का आदेश दिया था। कोर्ट ने जमानत देते वक्त ये शर्त भी रखी थी कि नाबालिग आरोपी सड़क सुरक्षा पर 3 सौ शब्दों का निबंध लिखेगा और ट्रैफिक पुलिस के साथ वक्त बिताएगा। जमानत की बात जब मीडिया में जमकर उछाली तो महाराष्ट्र पुलिस ने बोर्ड के समक्ष एक आवेदन दायर किया, जिसमें जमानत के आदेश में संशोधन की मांग की गई थी। 22 मई 2024 को नाबालिग आरोपी को हिरासत में लेने और उसे बाल सुधार गृह में भेजने का आदेश दिया गया था। केस में पुलिस की लापरवाही भी सामने आई थी।