नरक चतुर्दशी आज:जानिए क्यों करते हैं यमराज की पूजा
वैदिक पंचांग के अनुसार, आज 30 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा। हर साल यह पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है। इस खास अवसर पर श्री कृष्ण के साथ कालिका माता और यमराज की पूजा की जाती है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, आज 30 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा। हर साल यह पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है। इस खास अवसर पर श्री कृष्ण के साथ कालिका माता और यमराज की पूजा की जाती है। चूंकि यह दिवाली से एक दिन पहले आता है, इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
नरक चतुर्दशी शुभ मुहूर्त-
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 30 अक्टूबर को दोपहर 01:16 बजे होगी और यह 31 अक्टूबर को दोपहर 03:52 बजे समाप्त होगी।
अमृत काल: 30 अक्टूबर को दोपहर 02:56 से शाम 04:45 बजे तक रहेगा।
भद्रावास योग-
इस दिन भद्रावास योग का निर्माण 30 अक्टूबर को दोपहर 01:16 बजे से होगा, जो 31 अक्टूबर को रात 02:35 बजे समाप्त होगा। इस अवधि में भद्रा पाताल लोक में रहेंगी, जिससे पृथ्वी पर सभी जीवों का कल्याण होता है।
सर्वार्थ सिद्धि योग-
नरक चतुर्दशी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण 30 अक्टूबर को सुबह 06:32 बजे से रात 09:43 बजे तक रहेगा। इस समय भगवान कृष्ण की पूजा करने से भक्त को सभी शुभ कार्यों में सफलता मिलेगी। इस दौरान छोटी दिवाली भी मनाई जा सकती है।
नक्षत्र योग-
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर हस्त नक्षत्र का संयोग बन रहा है जिसका समापन 31 अक्तूबर की रात्रि को 09 बजकर 43 मिनट पर होगा। इसके बाद चित्रा नक्षत्र का संयोग है। ज्योतिष शास्त्र में हस्त नक्षत्र को शुभ माना जाता है।
क्यों कहते हैं नरक चतुर्दशी-
छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी कहे जाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं। एक किंवदंती के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था, जिसने अपने अत्याचारों से तीनों लोकों को दुखी कर रखा था। नरकासुर ने राजाओं की पुत्रियों और पत्नियों का अपहरण किया और स्वर्गलोक पर आक्रमण करके देवताओं को बंदी बना लिया। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध कर लगभग 16,000 स्त्रियों को उसकी कैद से मुक्त किया। नरकासुर के वध और लोगों की मुक्ति की खुशी में लोगों ने दीप जलाकर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। इसी कारण से छोटी दिवाली का पर्व मनाया जाता है, और नरकासुर के वध के चलते इसे नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है।