मध्य प्रदेश में अब नान करेगा धान-गेंहू की खरीदी

मप्र में लगातार धान खरीदी में ही रही गड़बड़ी और अधिकारी-कर्मचारी की मिलीभगत उजागर होने के बाद अब शासन ने निर्णय लिया है कि मार्कफेड (मप्र राज्य सहकारी विपणन संघ) नहीं बल्कि नान (नागरिक आपूर्ति निगम) के द्वारा खरीदी की जाएगी।

Nov 4, 2024 - 15:55
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मध्य प्रदेश में अब नान करेगा धान-गेंहू की खरीदी
Now NAN will purchase paddy and wheat in Madhya Pradesh

भ्रष्टाचार के चलते शासन ने मार्कफेड से छीना अधिकार

मप्र में लगातार धान खरीदी में ही रही गड़बड़ी और अधिकारी-कर्मचारी की मिलीभगत उजागर होने के बाद अब शासन ने निर्णय लिया है कि मार्कफेड (मप्र राज्य सहकारी विपणन संघ) नहीं बल्कि नान (नागरिक आपूर्ति निगम) के द्वारा खरीदी की जाएगी। शासन ने अपनी जांच में यह भी पाया है कि मार्कफेड का खरीदी के दौरान किसानों पर सही ढंग से कंट्रोल ना करने को लेकर बड़े स्तर में गड़बड़ी हुई है। धान की खरीदी 2 दिसंबर से शुरू होगी।

प्रदेश में पिछले कुछ सालों से धान और गेहूं खरीदी में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ। अमानक धान खरीदी गई जिसके चलते शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान भी हुआ। यही वजह है कि जबलपुर में हुए धान खरीदी घोटाले पर राज्य सरकार सख्त हुई और अब प्रदेश भर में निर्णय लिया गया कि मार्कफेड नहीं बल्कि नान धान खरीदी करेगा।

जांच में सामने आया भ्रष्टाचार

दरअसल 2003 से मार्कफेड ही धान और गेहूं की खरीदी कर रहा है। शुरुआत के कुछ साल तो सब कुछ ठीक हुआ, पर बाद में गड़बड़ी होना शुरू हो गई। घटिया धान और गेहूं खरीदा गया। राज्य सरकार को मामले पर शर्मिंदगी झेलनी पड़ी। कई वेयर हाउस में सड़ी हुई धान मिली तो कहीं पर धान-गेहूं का स्टॉक कम मिला। शासन ने पाया कि मार्कफेड खरीदी पर कंट्रोल नहीं कर पा रहा है, इस वजह से निर्णय लिया गया कि नागरिक आपूर्ति निगम खरीदी करेगा।

जबलपुर में बड़ी गड़बड़ी-

2023 में धान खरीदी के दौरान बड़ी लापरवाही सामने आई थी। जमकर भ्रष्टाचार हुआ। भोपाल से टीम जबलपुर पहुंची और जांच भी की गई। मप्र राज्य सहकारी विपणन संघ मार्कफेड के प्रबंध संचालक आलोक कुमार सिंह ने प्रबंधक जिला विपणन अधिकारी रोहित सिंह बघेल को निलंबित कर दिया था। जांच में यह भी पाया गया कि शासन की नीति के अनुरूप खरीदी नहीं की गई थी, अधिकारियों ने अपने पद का दायित्व का सही ढंग से निर्वहन नहीं किया था। जिसके चलते करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ और शासन की छवि धूमिल हुई।