अब यूपीआई के लेन-देन पर आरबीआई की नजर, साइबर फ्रॉड रोकने प्रयास जारी

साइबर फ्रॉड करने वालों को रोकने के लिए बैंकों की कोशिशें लगातार जारी हैं,लेकिन बावजूद इसके जालसाज अपने मंसूबों में कामयाब हो रहे हैं। इन ठगों को रोकने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने नई कवायद शुरु की है।

Feb 13, 2025 - 16:26
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अब यूपीआई के लेन-देन पर आरबीआई की नजर, साइबर फ्रॉड रोकने प्रयास जारी
Now RBI is keeping an eye on UPI transactions, efforts are on to stop cyber fraud

द त्रिकाल डेस्क, जबलपुर। साइबर फ्रॉड करने वालों को रोकने के लिए बैंकों की कोशिशें लगातार जारी हैं,लेकिन बावजूद इसके जालसाज अपने मंसूबों में कामयाब हो रहे हैं। इन ठगों को रोकने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने नई कवायद शुरु की है। आरबीआई के निर्देश पर बैंकों ने एक नया सिस्टम अपनाया है। इस सिस्टम का नाम है सस्पैक्टेड ट्रांजेक्शन। ये एक एप है,जो विशेषकर यूपीआई यानी मोबाइल एप से होने वाले लेन-देन पर नजर रखेगा।

कैसे काम करेगा ये सॉफ्टवेयर

ये सॉफ्टवेयर उन खातों को ट्रेस करेगा,जिनमें दिन में बार-बार लगातार ट्रांजैक्शन होंगे। सॉफ्टवेयर इन खातों की जांच करेगा और जरा भी संदेह होने पर इन पर होने वाले ट्रांजेक्शन रोक देगा और उपभोक्ता की राशि 48 घंटों के भीतर उसके अकाउंट में लौट आएगी। हालाकि, इस नंबर के पूरे स्टेटमेंट निकालकर बैंक और जांच एजेंसियां भी जांच कर सकेंगी,लेकिन ये बाद की प्रक्रिया होगी। बड़ा फायदा ये होगा कि उपभोक्ता लुटने से बच जाएगा।

ये है चौंकाने वाली शिकायत

हाल के दिनों में बैंकों के पास ऐसी शिकायतें भी आईं,जिन्हें सुनकर कोई भी चौंक सकता है। शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्होंने जब एक ही नंबर पर बार-बार ट्रांजेक्शन किया तो रकम बेनामी खातों में चली गयी। शिकायत की जांच की तो पता चला कि ये जालसाजों का काम है। यही वजह है कि बैंकों का सिस्टम अपडेट कर ठगों को रोकने की कोशिश की गई है। उल्लेखनीय है कि यूपीआई के जरिए एक दिन में एक लाख तक ट्रांजैक्शन किया जा सकता है,लेकिन इससे ज्यादा राशि भेजने के लिए आरटीजीएस का इस्तेमाल करना होता है।

फिर भी हो सकती है ठगी

इधर, बैंकिंग सिस्टम और साइबर फ्रॉड के जानकारों का दावा है कि इस सॉफ्टवेयर के बावजूद इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि ठगी नहीं ही होगी। ये सॉफ्टवेयर केवल इस आधार पर लेन-देन रोकेगा कि खातें में बार-बार ट्रांजेक्शन हो रहा है। ऐसे में कई बार वैध ट्रांजेक्शन को भी रोका जा सकता है। हालाकि, बाद में इसे बहाल भी किया जा सकेगा। ये जरूर है कि कुछ एक मामलों में ये सॉफ्टवेयर वाकई कारगर होगा। ये देखना भी जरूरी होगा कि  कितने ट्रांजेक्शन के बाद सॉफ्टवेयर अलर्ट होगा और लेन-देन रोके जाने के बाद क्या कार्रवाई की जाएगी।

नई तकनीक से मदद मिलेगी

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के लीड बैंक मैनेजर पीके गुप्ता ने कहा कि इस नई तकनीक से निश्चित तौर परसाइबर फ्रॉड को रोकने में मदद मिलेगी। इस सॉफ्टवेयर को समय-समय पर अपडेट भी किया जाएगा। एक तय समय पर आरबीआई द्वारा इसकी समीक्षा भी की जाएगी।

Matloob Ansari मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर से ताल्लुक, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से पत्रकारिता की डिग्री बीजेसी (बैचलर ऑफ जर्नलिज्म) के बाद स्थानीय दैनिक अखबारों के साथ करियर की शुरुआत की। कई रीजनल, लोकल न्यूज चैनलों के बाद जागरण ग्रुप के नईदुनिया जबलपुर पहुंचे। इसके बाद अग्निबाण जबलपुर में बतौर समाचार सम्पादक कार्य किया। वर्तमान में द त्रिकाल डिजीटल मीडिया में बतौर समाचार सम्पादक सेवाएं जारी हैं।