अब असम में निकाह और तलाक रजिस्टर्ड कराना ही होगा, विधानसभा में सरकारी पंजीकरण बिल पेश करेगी हिमंता बिस्वा सरकार

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार मुस्लिम लोगों के विवाह और तलाक के अनिवार्य सरकारी पंजीकरण के लिए विधानसभा के आगामी सत्र में एक विधेयक पेश करेगी। सीएम हिमंता सरमा ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मीडिया को बताया कि सरकार आगामी सत्र के दौरान असम मुस्लिम विवाह अनिवार्य पंजीकरण और तलाक विधेयक, 2024 पेश करेगी।

Aug 22, 2024 - 15:26
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अब असम में निकाह और तलाक रजिस्टर्ड कराना ही होगा, विधानसभा में सरकारी पंजीकरण बिल पेश करेगी हिमंता बिस्वा सरकार
Now marriage and divorce will have to be registered in Assam, Himanta Biswa government will introduce government registration bill in the assembly

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार मुस्लिम लोगों के विवाह और तलाक के अनिवार्य सरकारी पंजीकरण के लिए विधानसभा के आगामी सत्र में एक विधेयक पेश करेगी। सीएम हिमंता सरमा ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मीडिया को बताया कि सरकार आगामी सत्र के दौरान असम मुस्लिम विवाह अनिवार्य पंजीकरण और तलाक विधेयक, 2024 पेश करेगी। यह सत्र गुरुवार से शुरू हो रहा है। उधर, विपक्ष इस बिल का विरोध करने के लिए तैयार बैठा है। एआईयूडीएफ नेता रफीकुल इस्लाम ने कहा कि  मौजूदा मुस्लिम विवाह अधिनियम पूरी तरह से काम कर रहा है, सीएम केवल हिंदू मुस्लिम राजनीति करना चाहते हैं। मुसलमानों को निशाना बनाने की बजाय उन्हें मुसलमानों की भलाई पर काम करना चाहिए। विधानसभा में अध्यादेश या बिल लाया जाएगा, तो हम विरोध करेंगे। सीएम हिमंता सरमा ने बताया कि इससे पहले मुस्लिम निकाह काजियों द्वारा पंजीकृत किए जाते थे। लेकिन, इस नये विधेयक से यह सुनिश्चित होगा कि समुदाय में होने वाले सभी विवाह सरकार के समक्ष पंजीकृत होंगे।
मुख्यमंत्री सरमा ने यह भी दावा किया कि पहले काजियों द्वारा नाबालिगों की शादियों का भी पंजीकरण किया जाता था, लेकिन प्रस्तावित विधेयक ऐसे किसी भी कदम पर रोक लगाएगा। उन्होंने मंत्रिमंडल के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि अब नाबालिगों की शादी का पंजीकरण बिल्कुल नहीं होगा। हम बाल विवाह की कुप्रथा को खत्म करना चाहते हैं। इसलिए, विवाहों का पंजीकरण उप-पंजीयक कार्यालय में किया जाएगा। 
हिमंता सरमा ने कहा कि विवाह समारोहों के दौरान मुसलमानों द्वारा अपनाई जाने वाली रस्मों पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा, लेकिन काजियों द्वारा पंजीकरण पर रोक लगाई गई है। मंत्रिमंडल ने पिछले महीने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और 1935 के नियमों को निरस्त करने के लिए उस विधेयक को मंजूरी दी थी, जिसके तहत विशेष परिस्थितियों में कम उम्र में विवाह की अनुमति मिलती थी।  मंत्रिमंडल के अन्य निर्णयों के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में भूखंड संरक्षित हैं, लेकिन सीमांकित क्षेत्रों के बाहर नहीं, इसलिए अब हमने आदिवासी क्षेत्रों के बाहर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के गांवों के साथ सूक्ष्म आदिवासी क्षेत्र बनाने का फैसला किया है। क्षेत्रों की पहचान करने के लिए एक मंत्रिस्तरीय समिति का गठन किया गया है। 
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार ने कम से कम 250 साल पुरानी प्रतिष्ठित संरचनाओं और उसके आसपास के क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए मौजूदा असम भूमि राजस्व और विनियमन अधिनियम, 1886 में एक नया खंड जोड़ने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, हम धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व की संरचनाओं के आसपास के पांच किलोमीटर के क्षेत्र को संरक्षित करने का प्रस्ताव कर रहे हैं। नये प्रावधान के अनुसार, केवल तीन पीढ़ियों से क्षेत्र में रहने वाले लोग ही जमीन बेच और खरीद सकेंगे। 
गरीबी उन्मूलन योजना ओरुनोदोई के बारे में सीएम हिमंता ने कहा कि 126 विधानसभा क्षेत्रों में से प्रत्येक से 10,000 नए लाभार्थियों को मौजूदा 27 लाख लाभार्थियों के समूह में जोड़ा जाएगा। इस योजना के तहत महिलाओं के खातों में हर महीने 1,250 रुपये जमा किए जाते हैं। उन्होंने कहा, हमने लोकसभा चुनाव के दौरान सर्वेक्षण फॉर्म वितरित किए थे और पाया कि 10-12 लाख लोग अभी भी योजना के दायरे से बाहर हैं। इसलिए, हमने अब इस योजना का विस्तार करने का फैसला किया है। कुल 12.6 लाख नए लाभार्थियों को जोड़ा जाएगा, जिससे राज्य में 42.5 लाख से अधिक परिवारों को इसका लाभ मिलेगा।