अब वायरल नहीं होगी हाईकोर्ट की सुनवाई
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने न्यायालय की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग को एडिट करके इंटरनेट मीडिया के प्लेटफार्म पर अपलोड किए जाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।
हाईकोर्ट ने लाइव स्ट्रीमिंग के एडिट वीडियो अपलोड करने पर लगाई रोक
द त्रिकाल डेस्क, जबलपुर।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने न्यायालय की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग को एडिट करके इंटरनेट मीडिया के प्लेटफार्म पर अपलोड किए जाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया। साथ ही केंद्र व राज्य शासन, सूचना प्रसारण मंत्रालय, मेटा प्लेटफार्म्स, यू-ट्यूब, एक्स व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
नियमों का उल्लंघन-
जनहित याचिकाकर्ता दमोह निवासी सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. विजय बजाज की ओर से अधिवक्ता मुकेश कुमार अग्रवाल व उत्कर्ष अग्रवाल ने पक्ष रखा। दलील दी गई कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में न्यायालयीन प्रक्रिया की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए कुछ नियम बनाए गए थे। इन नियमों के अनुसार लाइव स्ट्रीमिंग के सभी कॉपीराइट हाईकोर्ट के पास हैं। किसी भी प्लेटफार्म पर लाइव स्ट्रीमिंग का मनमाना उपयोग, शेयर, ट्रांसमिट या अपलोड करना प्रतिबंधित है। इसके बावजूद निर्धारित नियमों का उल्लंघन करते हुए कई इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्मों पर लाइव स्ट्रीमिंग की क्लिपिंग को एडिट करके अपलोड करके आर्थिक लाभ उठाया जा रहा है।
हाईकोर्ट के आदेशों के मीम्स, शॉर्ट्स भी बनाए जाते हैं और न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं व शासकीय अधिकारियों पर अभद्र व आपत्तिजनक टिप्पणियां की जाती हैं। अब तक जिन भी लोगों ने हाईकोर्ट लाइव स्ट्रीमिंग का दुरुपयोग कर इंटरनेट मीडिया के माध्यम से धनार्जन किया है, उनसे वसूली की जाए। अभी तक जितनी भी क्लिपिंग इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर अपलोड की गई हैं, उन्हें डिलीट करने का भी आदेश पारित किया जाए।