वन नेशन, वन इलेक्शन बिल लोकसभा में पेश 

लोकसभा में वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को पेश किया गया है। एक देश, एक चुनाव का संविधान संशोधन बिल पारित कराना सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित होने वाला है।

Dec 17, 2024 - 16:19
Dec 17, 2024 - 16:34
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वन नेशन, वन इलेक्शन बिल लोकसभा में पेश 
One Nation, One Election Bill introduced in Lok Sabha

बिल के विरोध में इंडिया गठबंधन, सत्तापक्ष के लिए मुश्किलें

लोकसभा में वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को पेश किया गया है। एक देश, एक चुनाव का संविधान संशोधन बिल पारित कराना सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित होने वाला है। संसद में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन एनडीए के पास दो तिहाई बहुमत नहीं है। संविधान संशोधन के लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है। ऐसे में दोनों सदनों में सदस्यों का दो-तिहाई बहुमत होना चाहिए और मतदान में 50 फीसदी से ज़्यादा वोट होने चाहिए। जबकि एनडीए के मुश्किल ये कि इंडिया गठबंधन के सभी दल एक देश एक चुनाव के खिलाफ हैं। 

क्या है एक देश, एक चुनाव बिल-

यह बिल पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की दिशा में कदम बढ़ाता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस महीने की शुरुआत में वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक को मंजूरी दी थी। बीजेपी और उसके सहयोगी दल इस विधेयक के समर्थन में हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सितंबर में एक साथ चुनाव कराने से संबंधित उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को मंजूरी दी थी, जिसकी अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की थी।

समझें बिल पास कराने का पूरा गणित

सरकार "एक देश, एक चुनाव" के लिए दो बिल ला रही है, जिनमें से एक संविधान संशोधन बिल है, जिसके लिए दो-तिहाई बहुमत जरूरी है। लोकसभा में 543 सीटों में से एनडीए के पास वर्तमान में 292 सीटें हैं, जबकि दो-तिहाई बहुमत के लिए 362 सीटों का आंकड़ा चाहिए। वहीं, राज्यसभा की 245 सीटों में से एनडीए के पास 112 सीटें हैं, साथ ही 6 मनोनीत सांसदों का भी समर्थन प्राप्त है। विपक्ष के पास 85 सीटें हैं, और दो-तिहाई बहुमत के लिए 164 सीटों का आंकड़ा जरूरी है।

47 राजनीतिक दलों ने दी थी अपनी राय-

रामनाथ कोविंद समिति पर इस मुद्दे को लेकर 47 राजनीतिक दलों ने अपनी राय दी थी। इनमें से 32 दलों ने इसका समर्थन किया, जबकि 15 दलों ने इसका विरोध किया। विरोध करने वाले दलों के लोकसभा सांसदों की संख्या 205 है, जिसका मतलब है कि बिना इंडिया गठबंधन के समर्थन के संविधान संशोधन बिल का पारित होना मुश्किल है।