सिर्फ 8 हजार में काम कर रहे आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मी, जबकि एनएचएम के तहत मिलना चाहिए 12 हजार से ज्यादा
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत प्रदेश में संविदा पर नियुक्त आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारियों को पूरा मानदेय का भुगतान नहीं हो रहा है। सरकारी रिकार्ड में अर्ध कुशल श्रमिक दर से इनका मानदेय 12796 रुपये है, लेकिन आलीराजपुर और बुरहानपुर जिले के अलावा कहीं भी इस दर से राशि नहीं दी जा रही है।
इंदौर, भोपाल, जबलपुर समेत प्रदेश के आठ जिलों में एनएचएम नियम लागू नहीं
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत प्रदेश में संविदा पर नियुक्त आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारियों को पूरा मानदेय का भुगतान नहीं हो रहा है। सरकारी रिकार्ड में अर्ध कुशल श्रमिक दर से इनका मानदेय 12796 रुपये है, लेकिन आलीराजपुर और बुरहानपुर जिले के अलावा कहीं भी इस दर से राशि नहीं दी जा रही है। मानदेय के रूप में इंदौर में 11100 रुपये, भोपाल में 11164 रुपये, जबलपुर में 8000 रुपये, ग्वालियर में 11164 रुपये और ग्वालियर देहात क्षेत्र में 7500 रुपये ही मिल रहे हैं। प्रदेश में आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारियों की संख्या करीब 2500 है।
वित्तीय वर्ष 2019 की कार्ययोजना के तहत शहरी स्वास्थ्य केंद्र, टीकाकरण, एसएनसीयू, पीआइसीयू, एनआरसी, मेडिकल कालेज सहित अन्य संस्थाओं में आउटसोर्स कंपनियों के माध्यम से संविदा पर कर्मचारी रखे गए और उन्हें अर्धकुशल श्रमिक दर से मानदेय दिया जाना तय हुआ। लेकिन, अधिकारियों एवं आउटसोर्स कंपनियों की मनमानी से पांच वर्ष बाद भी जिलों में आउटसोर्स कर्मचारियों को सरकारी दर से भुगतान नहीं किया जा रहा है।
नियमों का नहीं किया गया पालन-
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक द्वारा भी मिशन संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। आठ जिले तो ऐसे भी हैं, जहां एनएचएम के नियम को लागू तक नहीं किया गया। ऐसे में इन जिलों में आउटसोर्स कर्मचारियों को महज 5500 रुपये का मानदेय ही मिल पा रहा है। इनमें छतरपुर, उज्जैन, सागर, भिंड, डिंडौरी, सिवनी, सीधी और आगर मालवा शामिल हैं।
कर्मचारी संघ उठा चुके हैं जांच की मांग-
आधे-अधूरे भुगतान में अधिकारियों और आउटसोर्स कंपनियां द्वारा की जा रही गड़बड़ी की जांच की मांग एनएचएम संविदा आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संघ उठा चुका है, लेकिन न जांच शुरू हुई, न ही गड़बड़ी का सिलसिला रुका। संघ के पदाधिकारी मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारियों व सिविल सर्जन से यह भी मांग कर चुके हैं कि आउटसोर्स कंपनियों से किन शर्तों पर अनुबंध किया गया है और कर्मचारियों को कितना मानदेय दिया गया है, इसे उपलब्ध कराएं, लेकिन जानकारी उन्हें उपलब्ध नहीं कराई गई।