पवनपुत्र हनुमान का संस्कारधानी से रहा है नाता, जगह-जगह मिलते हैं प्रमाण
राम भक्त हनुमान हमेशा समर्पण के लिए जाने जाते हैं। कहते है कि उनकी तरह भक्ति करना हर किसी के लिए संभव नहीं है। वीर, शौर्य और अद्भुत पराक्रम वाले हनुमान जी के लिए यह भी कहा जाता है कि वे कलयुग के देवता है।

हनुमान जयंती विशेष
राम भक्त हनुमान हमेशा समर्पण के लिए जाने जाते हैं। कहते है कि उनकी तरह भक्ति करना हर किसी के लिए संभव नहीं है। वीर, शौर्य और अद्भुत पराक्रम वाले हनुमान जी के लिए यह भी कहा जाता है कि वे कलयुग के देवता है। 12 अप्रैल को हनुमान जयंती है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है। मां नर्मदा से भी हनुमान जी का नाता है। आइए जानते हैं कि जबलपुर में कब और कैसे पड़े थे हनुमान जी के चरण। इसके साथ ही जबलपुर शहर में कई ऐसे खास हनुमान मंदिर है जहां पर बड़ी संख्या में भक्त जाते हैं और उनकी यहां से आस्था जुड़ी है।
नर्मदा को पार करने से बंदर कूदनी पड़ा नाम
भेड़ाघाट धुआंधार जलप्रपात के पास पंचवटी है। जहां पर लोग नौकाविहार करते हैं। पंचवटी में मां नर्मदा दो चट्टानों के बीच से होकर गुजरती हैं। इस स्थान को बंदर कूदनी कहा जाता है। इस स्थान का नाम बंदर कूदनी इसलिए पड़ा क्योंकि त्रेतायुग में राम भक्त हनुमान ने छलांग लगाकर नर्मदा नदीं को पार किया था। तब से यह स्थल बंदर कूदनी के नाम से विख्यात हो गया। इतिहासकार डॉ.आनंद राणा के अनुसार किवदंती के अनुसार त्रेतायुग में युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे तब राम भक्त हनुमान संजीवनी बूटी लेने निकले थे। इस दौरान मां नर्मदा को पार करके जाना था। मां नर्मदा कुंवारी है, इसलिए हनुमान जी ने मां नर्मदा की स्तुति की और उनसे मार्ग प्रशस्त करने का आग्रह किया। तब हनुमान जी एक चट्टान से दूसरी चट्टान पर कूदकर गए और नर्मदा को पार किया। इस स्थान पर वानर भी गए और इस स्थान को बंदर कूदनी कहा जाने लगा।
खारीघाट के हनुमान गढी मंदिर भी है खास
इतिहासकार डॉ.आनंद सिंह राणा ने बताया कि शहर के खारीघाट में स्थित हनुमान गढ़ी हनुमान मंदिर में भी हनुमान जी के होने का प्रमाण मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि यहां पर विराजी हनुमान जी की प्रतिमा 600 साल पुरानी है। उनके पैरे के नीचे दबे शनि देव भी यहां पर विराजमान हैं। मंदिर समिति के सदस्य के अनुसार ऐसी मान्यता है कि वीर हनुमान मंदिर स्थल पर फेरा लगाने आते हैं और खारीघाट पर पीपल के पेड़ के नीचे आकर खड़े होते हैं। खारीघाट में हनुमान जी की प्रतिमा पर बालों के रोएं अब भी ऐसे दिखते हैं मानो वे नर्मदा में नहाकर निकले हों। यही वजह है कि यहां पर कहा जाता है कि हनुमान जी पहले मां नर्मदा में स्नान करते हैं और फिर मंदिर में आते हैं।
लम्हेटी में कपितीर्थ की है अपनी कहानी
ऐसा माना जाता है कि जब मर्यादा पुरुषोत्तम राम और लक्ष्मण ने हनुमान जी के साथ मिलकर रावण का वध किया तब इन्हें बह्म हत्या का दोष लगा था। हनुमान जी मां नर्मदा के किनारे आए और उन्होंने यहां पर तप कर अपने आप बह्म हत्या के दोष से मुक्त किया। बाद में फिर भगवान राम और लक्ष्मण ने यहां पहुंचकर एक ही जिलहरी में दो शिवलिंग स्थापित की और साधना की स्वयं को दोष मुक्त करने के लिए। क्योंकि यहां पर पहले हनुमान जी आए थे इसलिए इस जगह को कपितीर्थ कहा जाता है।