चपरासी जांच रहा था विश्वविद्यालय की कॉपी, वायरल वीडियो से मचा हड़कंप

मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां विश्वविद्यालय की परीक्षा कॉपियों की जांच चपरासी से कराई जा रही थी। इस घटना का वीडियो सामने आते ही हड़कंप मच गया।

Apr 9, 2025 - 15:53
Apr 9, 2025 - 16:42
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चपरासी जांच रहा था विश्वविद्यालय की कॉपी, वायरल वीडियो से मचा हड़कंप
Peon was checking university's copy, viral video caused a stir

मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां विश्वविद्यालय की परीक्षा कॉपियों की जांच चपरासी से कराई जा रही थी। इस घटना का वीडियो सामने आते ही हड़कंप मच गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। जांच में गड़बड़ी की पुष्टि होने के बाद दो प्रोफेसरों को निलंबित कर दिया गया है, वहीं एक अतिथि विद्वान समेत तीन लोगों को नौकरी से हटा दिया गया है। यह कार्रवाई जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई है।

इन लोगों पर गिरी कार्रवाई की गाज


शहीद भगत सिंह शासकीय पीजी महाविद्यालय, पिपरिया में परीक्षा कॉपियों की जांच में अनियमितता सामने आने के बाद बड़ी कार्रवाई की गई है। पिपरिया कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य और एक प्रोफेसर को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही, एक अतिथि विद्वान, एक पुस्तक सहायक (बुक लिफ्टर) और एक प्रयोगशाला परिचारक को बर्खास्त कर दिया गया है। यह मामला तब सामने आया जब इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इसके बाद सरकार ने तुरंत जांच समिति गठित कर सख्त कदम उठाए।

जांच समिति ने सौंपी रिपोर्ट, कई खुलासे


जांच समिति की रिपोर्ट में सामने आया कि पन्नालाल पठारिया, जो कि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी और प्रयोगशाला परिचारक हैं, ने खुशबू पगारे (हिंदी की अतिथि विद्वान) को आवंटित उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया था। पन्नालाल ने यह भी स्वीकार किया कि उन्हें ये कॉपियां राकेश कुमार मेहर (बुक लिफ्टर) के माध्यम से मिली थीं और उन्होंने इसके बदले 5 हजार रुपये लिए थे।

पैसों के बदले में हुआ कॉपियों का मूल्यांकन


खुशबू पगारे ने अपने बयान में कहा कि स्वास्थ्य खराब होने के कारण उन्होंने उत्तर पुस्तिकाओं की जांच का काम राकेश कुमार मेहर के माध्यम से पन्नालाल को सौंपा। इसके बदले उन्होंने राकेश को 7 हजार रुपये नकद दिए, जिसमें से 5 हजार रुपये पन्नालाल को दिए जाने थे।
बुक लिफ्टर राकेश कुमार मेहर, जो जनभागीदारी समिति के अंतर्गत स्थायी रूप से कार्यरत हैं, ने भी पुष्टि की कि उन्होंने खुशबू पगारे से 7 हजार रुपये लिए थे और उसमें से 5 हजार पन्नालाल को दे दिए।

प्रभारी प्राचार्य पर गिरी गाज


उच्च शिक्षा विभाग के अवर सचिव द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि जांच में मूल्यांकन प्रक्रिया में गंभीर लापरवाही और अनियमितताएं पाई गई हैं। इस पूरे मामले के लिए प्रभारी प्राचार्य डॉ. राकेश कुमार वर्मा (प्राध्यापक वाणिज्य एवं मूल्यांकन नोडल अधिकारी) और डॉ. रामगुलाम पटेल (प्राध्यापक राजनीति शास्त्र) को जिम्मेदार माना गया है।


राज्य शासन ने दोनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबन की अवधि में उनका मुख्यालय क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा भोपाल-नर्मदापुरम संभाग में निर्धारित किया गया है।

इनकी गई नौकरी


शासन द्वारा जारी आदेश के अनुसार, अतिथि विद्वान खुशबू पगारे (जनभागीदारी पद), प्रयोगशाला परिचारक पन्नालाल पठारिया (जनभागीदारी कर्मचारी), और बुक लिफ्टर राकेश कुमार मेहर (स्थायी कर्मचारी, जनभागीदारी) को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। इस संबंध में संबंधित प्राचार्य को निर्देश जारी किए गए हैं।

संदिग्ध भूमिकाएं, सख्त कार्रवाई


इस पूरे मामले में कई व्यक्तियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। विश्वविद्यालय की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच में हुई इस तरह की लापरवाही को बेहद गंभीर माना गया है, क्योंकि यह शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करती है। राज्य सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई की है और दोषियों के खिलाफ कड़े कदम उठाए गए हैं।