शिव-पार्वती विवाह की तैयारियां शुरू, महाशिवरात्रि में लगेगा मेला
फागुन माह हर किसी के लिए बेहद खास होता है। इस माह की खासियत है कि इसमें हमारे आराध्य शिव-पार्वती के विवाह की बेला होती है। एक ऐसा मुहूर्त जिसमें दो महाशक्तियां एक हो जाती है। उनके एक होते ही पूरे संसार में आशीष बरसता है। यह मुहूर्त इतना शुभ माना जाता है कि इसमें अन्य जोड़ों का भी बिना किसी मुहूर्त के विवाह हो जाता है और उन्हें भगवान शिव की असीम कृपा की प्राप्ती होती है।

फागुन माह हर किसी के लिए बेहद खास होता है। इस माह की खासियत है कि इसमें हमारे आराध्य शिव-पार्वती के विवाह की बेला होती है। एक ऐसा मुहूर्त जिसमें दो महाशक्तियां एक हो जाती है। उनके एक होते ही पूरे संसार में आशीष बरसता है। यह मुहूर्त इतना शुभ माना जाता है कि इसमें अन्य जोड़ों का भी बिना किसी मुहूर्त के विवाह हो जाता है और उन्हें भगवान शिव की असीम कृपा की प्राप्ती होती है। जबलपुर शहर के भरतीपुर में महाशिवरात्रि के मौके पर 77 वर्ष से भगवान शंकर की बारात निकाली जाती है। 26 फरवरी को शिवरात्रि है और इसकी तैयारियां जोर शोर से की जा रही हैं।
पांच दिनों तक चलेंगी शादी की रस्में
भोलनाथ की शादी सनातन धर्म के मुताबिक पूरे रीति-रिवाज के साथ की जाएगी। पांच दिवसीय इस कार्यक्रम के दौरान हल्दी व तेल चढ़ेगा, मंडप सजेगा। महिलाएं मंगलगीतों के बीच सभी रस्में पूरी कराएंगी। यह आयोजन भरतीपुर स्थित शिव मंदिर में होता है। यहां ये रस्में 23 फरवरी से शुरू हो जाएंगी। शिवरात्रि के दूसरे दिन 27 फरवरी को माता पार्वती की विदाई के साथ आयोजन समाप्त होगा। शिव मंदिर के सदस्य स्थानीय लोगों के घर-घर जाकर उन्हें विवाह का निमंत्रण दे रहे हैं।
आजादी के बाद से हो रहा आयोजन
सोनकर समाज द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन काफी वृहद स्तर पर किया जाता है। शहर का यह सबसे बड़ा आयोजन माना जाता है। समाज के लोग बताते हैं कि वर्ष 1948 में मंदिर का निर्माण सोनकर समाज के बुजुर्गों ने श्रमदान कर किया। बाद में मंदिर का विस्तार किया गया। यहां 26 वर्ष पूर्व 51 फीट ऊंचा शिवलिंग स्थापित किया गया। सोनकर समाज 77 वर्ष से इस परंपरा को आगे बढ़ा रहा है।
समारोह के पहले दिन कलश यात्रा निकाली जाएगी। दूसरे दिन शाम को भगवान शिव व पार्वती माता को हल्दी-तेल अर्पित करने की रस्म निभाई जाएगी। इसी दिन मांगरमाटी के साथ मंडप स्थापना होगी। तीसरे दिन मायना या मंडप पूजन किया जाएगा। चौथे दिन शाम को भगवान शिव की बारात निकाली जाएगी, जो कि शहर के विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए शिव मंदिर भरतीपुर पहुंचेगी। इसके बाद भगवान शिव व माता पार्वती का पाणिग्रहण संस्कार किया जाएगा। पांचवे दिन माता पार्वती की परंपरागत तरीके से विदाई होगी।