लोक सेवा आयोग कोर्ट को बताए 87:13 फॉर्मूले का आधार
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा अपनाये जा रहे 87:13 फार्मूले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी है। हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस अमरनाथ केसरवानी की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट ने पीएससी को जारी किया नोटिस
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा अपनाये जा रहे 87:13 फार्मूले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी है। हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस अमरनाथ केसरवानी की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। युगलपीठ ने एमपीपीएससी को निर्देशित किया गया है कि साल 2019 तथा 2020 की परीक्षाओं के लिए होल्ड किये गये 13 प्रतिशत चयनीय दोनों वर्ग की सूची प्रस्तुत करें।
याचिकाकर्ता प्रज्ञा शर्मा,मोना मिश्रा,प्रियंका तिवारी सहित अन्य पांच की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया गया था। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ओबीसी वर्ग के लिए बनाये गये आरक्षण पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 87:13 प्रतिशत का नया फार्मूला तैयार कर नियुक्ति प्रदान कर दी।
इस फार्मूले के तहत नियुक्ति के लिए 13 प्रतिशत सामान्य तथा 13 प्रतिशत ओबीसी वर्ग के चयनित अभ्यार्थियों के रिजल्ट होल्ड कर लिये गये। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि ऐसा फार्मूला उनकी तरफ से नहीं दिया गया है। याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया है कि वह साल 2019 तथा 2020 की परीक्षा के इंटरव्यू में शामिल हुई थी। होल्ड किये गये 13 प्रतिशत में उनका नाम है,इसके संबंध में भी उन्हें कोई जानकारी नही दी गयी है। होल्ड की गयी दोनों वर्ग की 13 प्रतिशत सूची को गोपनीय रखा गया है। एमपीपीएससी ने मनमाने तरीके से उक्त फार्मूला लागू किया गया है। याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने राज्य सरकार तथा एमपीपीएससी को नोटिस जारी करते हुए होल्ड की गयी 13 प्रतिशत अभ्यर्थियों की सूची पेश करने के आदेश जारी किये है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की।