पुणे एक्सीडेंट: दादा के आश्वासन और 7500 रुपये जुर्माने के चलते मिली थी नाबालिग को जमानत 

महाराष्ट्र के पुणे में हॉल में एक वारदात सामने आई थी जिसमें एक तेज रफ्तार पोर्श कार ने दो बाइक सवार को टक्कर मार दी थी। इस टक्कर में दो बाइक सवार की मौके पर ही मौत हो गई। अब इस मामले में कार चलाने वाले 17 साल के नाबालिग लड़के को जमानत मिल गई है।

May 22, 2024 - 15:38
 6
पुणे एक्सीडेंट: दादा के आश्वासन और 7500 रुपये जुर्माने के चलते मिली थी नाबालिग को जमानत 
Pune Accident: Minor got bail due to grandfather's assurance and fine of Rs 7500

दादा ने पुलिस को दिया नाबालिग को बुरी कंपनी से दूर रखने का आश्वासन

महाराष्ट्र के पुणे में हॉल में एक वारदात सामने आई थी जिसमें एक तेज रफ्तार पोर्श कार ने दो बाइक सवार को टक्कर मार दी थी। इस टक्कर में दो बाइक सवार की मौके पर ही मौत हो गई। अब इस मामले में कार चलाने वाले 17 साल के नाबालिग लड़के को जमानत मिल गई है। जमानत लड़के के दादा के आश्वासन और 7500 रुपये के मुचलके पर मिली है। बता दें, दादा ने नाबालिग को बुरी कंपनी से दूर रखने का आश्वासन दिया है। 

जानिए पूरा मामला-

18 मई को हादसे के समय नाबालिग शराब के नशे में धुत था और 200 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से अपने पिता की पोर्श कार चला रहा था। इस हादसे में मध्य प्रदेश के रहने वाले दो इंजीनियर अनीश अवधिया (पुरुष) और अश्विनी कोस्टा (महिला) की मौके पर ही मौत हो गई। ये कार पुणे के एक अमीर बिल्डर का नाबालिग बेटा चला रहा था। हादसे के बाद उसने भागने की कोशिश की, लेकिन लोगों ने उसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। बाद में उसे किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया गया, जहां उसे कुछ ही घंटों बाद जमानत दे दी गई थी।
पुलिस ने बताया कि शनिवार और रविवार की दरम्यानी रात को आरोपी किशोर अपने दोस्तों के साथ रात साढ़े नौ बजे से देर रात एक बजे के बीच दो बारों में गया था और वहां कथित तौर पर शराब पी।

किशोर न्याय बोर्ड द्वारा रविवार को दिए आदेश में कहा गया, 'उनके दादा ने आश्वासन दिया है कि वह लड़के को किसी भी बुरी कंपनी से दूर रखेंगे। साथ ही वह उसकी पढ़ाई पर ध्यान देंगे। उसे ऐसा कोई कोर्स करवाएंगे, जो उसके भविष्य के  लिए उपयोगी हो। लड़के के दादा नाबालिग पर लगाई गई शर्त का पालन करने के लिए तैयार हैं। इसलिए, नाबालिग को जमानत पर रिहा करना सही है।'
बोर्ड ने कहा कि नाबालिग को उसके निजी मुचलके और 7,500 रुपये के मुचलके पर इस शर्त के साथ जमानत पर रिहा किया जाता है कि उसके माता-पिता उसकी देखभाल करेंगे और वह भविष्य में कभी भी अपराधों में शामिल नहीं होगा। साथ ही बोर्ड ने क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय का दौरा करने और यातायात नियमों का अध्ययन करने और 15 दिनों के भीतर बोर्ड को एक प्रस्तुति प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया। इसके अलावा, 15 दिनों तक यरवदा मंडल की पुलिस के साथ मिलकर ट्रैफिक कंट्रोल में मदद करनी होगी। शराब छोड़ने के लिए मनोचिकित्सक के पास इलाज कराना होगा। अगर भविष्य में वह कोई दुर्घटना देखे तो उसे दुर्घटना पीड़ितों की मदद करनी होगी। अदालत के फैसले के मुताबिक, आरोपी को सड़क दुर्घटनाओं के परिणामों और उनके उपायों पर कम से कम 300 शब्दों का निबंध लिखना होगा।

पुणे पुलिस ने जमानत आदेश को चुनौती देते हुए सत्र अदालत का दरवाजा खटखटाया था और लड़के को वयस्क की तरह व्यवहार करने की अनुमति देने की मांग करते हुए कहा था कि अपराध जघन्य है। हालांकि, अदालत ने पुलिस से कहा कि वह आदेश की समीक्षा के लिए याचिका के साथ किशोर न्याय बोर्ड से संपर्क करे।