पुणे एक्सीडेंट मामला:कूड़ेदान में फेंक गए नाबालिग के खून के नमूने
पुणे पुलिस ने दावा किया है कि नाबालिग के खून के नमूने कूड़ेदान में फेंक दिए गए थे। उसकी जगह किसी और शख्स के खून के नमूने लिए गए थे। इतना ही नहीं यह सब ससून जनरल अस्पताल के एक डॉक्टर के निर्देश पर किया गया था।
निजी अस्पताल के डॉक्टर के निर्देश पर किया गया काम
पुणे में हुए सड़क हादसे की चर्चा देश में इन दिनों काफी तेजी में है। तेज रफ्तार लग्जरी कार ने एक मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी थी, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी। कार एक 17 साल का नाबालिग रईसजादा चला रहा था, जो शराब के नशे में धुत था। इस मामले में हर दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं। अब पुणे पुलिस ने दावा किया है कि नाबालिग के खून के नमूने कूड़ेदान में फेंक दिए गए थे। उसकी जगह किसी और शख्स के खून के नमूने लिए गए थे। इतना ही नहीं यह सब ससून जनरल अस्पताल के एक डॉक्टर के निर्देश पर किया गया था।
नमूने से छेड़छाड़ करने के आरोप में दो डॉक्टरों गिरफ्तार-
पुणे के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने सोमवार को हैरान करने वाला सच एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया। उन्होंने दावा किया कि किशोर के पिता ने डॉक्टर को फोन किया और उन्हें लालच देते हुए खून के नमूने बदलने के लिए कहा। वरिष्ठ अधिकारी ने आगे कहा कि नाबालिग के खून के नमूने से छेड़छाड़ करने और सबूत नष्ट करने के आरोप में दो डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है। ससून अस्पताल के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. अजय तावरे और सरकारी अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीहरि हार्लोर को गिरफ्तार कर लिया है।
अधिकारी ने कहा, जांच में सामने आया है कि नाबालिग के खून के नमूनों को किसी ओर शख्स के नमूनों से बदला गया था। यह सब डॉक्टर तावरे के इशारे पर किया गया था। डॉ. तवारे के निर्देश पर किशोर के खून के नमूने कूड़ेदान में फेंक दिए गए और उसकी जगह किसी और व्यक्ति के नमूने लिए गए। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि नाबलिग के पिता ने डॉ. अजय तावरे को फोन किया था और लालच देते हुए खून के नमूने बदलने को कहा था।
इस तरह सामने आया सच-
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने आगे कहा कि सावधानी बरतते हुए हमने किशोर के और खून के नमूने ले लिए थे और दूसरे अस्पताल भेज दिए थे। बाद में जब दूसरे अस्पताल की रिपोर्ट आई तब खुलासा हुआ कि ससून अस्पताल में किशोर के खून की रिपोर्ट से छेड़छाड़ की गई, क्योंकि दोनों रिपोर्ट का डीएनए मैच नहीं कर रहा था। दोनों डॉक्टरों को इस बात की जरा भी जानकारी नहीं थी कि पुलिस नाबालिग आरोपी का एक और नमूना ले लेगी। उन्होंने कहा, इस बात की जांच की जा रही है कि किशोर के खून के नमूने की जगह किसके नमूने लिए गए। हमने ससून अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज बरामद किए हैं और आगे की जांच जारी है।
नाबालिग पर लगीं यह धाराएं-
पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने यह भी कहा कि किशोर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है उसमें भारतीय दंड की धारा 201, 120 बी और अन्य संबंधित धाराएं जोड़ी गई हैं। उन्होंने कहा, हमने मौजूदा मामले में किशोर के पिता को सह आरोपी बनाया है। इससे पहले गिरफ्तारी के आठ घंटे बाद नाबालिग रक्त परीक्षण के लिए ले जाया गया था। जांच के बाद पता चला था कि आरोपी ने शराब का सेवन नहीं किया था। हालांकि, सीसीटीवी फुटेज और बार के बिल से पता चला कि उसने शराब पी थी।
जानिए क्या है मामला-
पुणे शहर में 18-19 मई की दरम्यानी रात को करीब तीन करोड़ रुपये की पोर्श कार को तेज गति से दौड़ाने के चक्कर में 17 साल के लड़के ने एक बाइक को टक्कर मार दी थी। गाड़ी की टक्कर इतनी जोरदार थी कि बाइक अपना संतुलन खोकर काफी दूर तक सड़क पर घिसटते चली गई, जिससे उस पर सवार दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। मौके पर मौजूद लोगों ने हादसे की सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद आरोपी नाबालिग को गिरफ्तार कर लिया गया। इस घटना के 14 घंटे बाद आरोपी नाबालिग को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी। कोर्ट ने उसे 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव-समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया था। बाद में विवाद बढ़ा तो कोर्ट ने उसकी जमानत रद्द कर दी थी। इसके बाद उसे 5 जून तक एक निरीक्षण गृह भेज दिया गया था। इसके अलावा इस मामले में अबतक नाबलिग के पिता और दादा को भी गिरफ्तार किया जा चुका है।