बारिश से गेहूं को राहत, लेकिन धान के लिए बन गईआफत
मध्य प्रदेश के दूसरे शहरों की तरह जबलपुर में भी शनिवार सुबह मावठे की बारिश ने जहाँ एक तरफ खेतों में खड़ी गेंहू की फसल को राहत दी है, वहीं जिले के ख़रीदी केंद्रों में खुले में पड़ी धान के लिये आफत साबित हो रही है।

- जबलपुर में सुबह की बारिश से बदला मौसम
- धूप खिलेगी तो शुरू होगा कड़ाके की ठंड का दौर
द त्रिकाल डेस्क, जबलपुर। मध्य प्रदेश के दूसरे शहरों की तरह जबलपुर में भी शनिवार सुबह मावठे की बारिश ने जहाँ एक तरफ खेतों में खड़ी गेंहू की फसल को राहत दी है, वहीं जिले के ख़रीदी केंद्रों में खुले में पड़ी धान के लिये आफत साबित हो रही है। हालांकि, जिला प्रशासन ने पहले ही किसानों को बारिश से आगाह कर दिया था, लेकिन फिर भी कई खरीदी केन्द्रों में बचाव के इंतजाम पुख्ता नहीं हो सके। इससे पहले भारतीय किसान संघ ने भी धान को लेकर चिंता जाहिर की थी। जिला प्रशासन की टीम और किसानों ने बीते दो दिनों में प्रयास तो खूब किये,लेकिन कसर रह गयी। जिले में तौल में हेरफेर करने वालों पर कलेक्टर दीपक सक्सेना जल्दी कार्रवाई करेंगे।
भीगी धान को माना जायेगा घटिया
जिले में बारिश की सम्भावना को देखते हुए जिला प्रशासन ने किसानों को निर्देशित किया था कि वे शनिवार और रविवार को उपार्जन केन्द्र पर धान लेकर न जाएं। जिन किसानों की धान उपार्जन केन्द्र पर रिजेक्शन की वजह से अपग्रेड करने के लिये अथवा तुलाई नहीं होने की वजह से पड़ी हुई है, वे धान की बारिश से सुरक्षा का उपाय सुनिश्चित करें। सभी उपार्जन केन्द्र प्रभारी कृपया खुले में रखे हुये धान को गोदाम के अंदर शिफ़्ट करने अथवा बारिश से सुरक्षा के समस्त उपाय तत्काल सुनिश्चित करें।लापरवाही के कारण धान भीगने अथवा ख़राब होने की घटना होती है तो यह माना जायेगा कि जानबूझकर कर धान को खपाने के लिये यह लापरवाही की गई है। व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी नियत कर कारवाई की जायेगी। सभी नोडल अधिकारी व समिति प्रबंधक उपार्जन केन्द्र पर तत्काल पहुँचे और माकूल व्यवस्था सुनिश्चित करें।उपार्जित धान के सुरक्षित भंडारण के लिये 30 दिसम्बर, 31 दिसम्बर और 1 जनवरी को उपार्जन कार्य स्थगित रहेगा। जिन किसानों ने उक्त तिथियों के लिये स्लॉट बुकिंग की है उनकी स्लाट अवधि आगामी पाँच दिनों के लिये बढ़ा दी गई है।
अब शुरू होगा दलालों का खेल
बारिश के बाद खरीदी के इस खेल को दलालों-व्यापारियों की जमात ऑपरेट करेगी। किसानों की उपज खराब होने का रोना रोया जाएगा और इसी दबाव में घटिया धान को गोदामों के अंदर पहुँचा दिया जायेगा। सब जगह से रिजेक्ट माल को किसानों के मध्यम से सरकार को बेंचने की खुराफात होगी। किसानों के दर्द और आंसुओं का इस्तेमाल सालों से व्यापारी इसी तरह से कर रहे हैं।
बासमती है इसलिए चढ़ती है कम !
इधर भोपाल से आई दो सदस्यीय दल ने शहपुरा के काकुल, एसएमजीटी, सीता सरोवर, अरिहंत और विमल वेयर हाउस की जाँच की। जाँच में एक वेयर में पाया गया कि धन की बोरी में 40 की जगह 32 किलो धान है। सफाई दी गई कि ये धान बासमती ग्रेड की है जिससे वह कम चढ़ती है। इसके पीछे क्या तर्क है, ये समझना बहुत मुश्किल है। टीम को अमानक धान भी मिली,जिस पर ख़रीदी अमले ने चुप्पी साध ली। बताया जाता है कि कई सेंटरों में अमानक धान भी बड़ी मात्रा में पहुँच रही है। ये धान जब रिजेक्ट हो जाती है तो उसे भी वेयर हाउस के आसपास ही रखवा दिया जाता है। इस उम्मीद में कि किसी तरह इसे सही बताकर अंदर करवा लेंगे। ऐसे लोगों को ख़रीदी केन्द्रों का अमला ही आश्वासन देता है। खरीदी के अंतिम चरण में बड़े खेल होते हैं। ये गोरखधंधा पूरे जिले में जारी है।
गेहूं को कैसे होगा लाभ
दिसंबर के अंत में भी तापमान में अपेक्षित गिरावट न आने के कारण किसानों के खेतों में लगे गेहूं के पौधों का समुचित विकास प्रभावित हो रहा था। किसानों का कहना है कि गेहूं की अच्छी फसल के लिए ठंड का मौसम आवश्यक है,लेकिन इस बार मौसम के मिजाज ने उन्हें चिंतित कर दिया है। पौधे अभी छोटे हैं किन्तु अगर गाभा (पुष्प) या दाना पकड़ने के समय तापमान अधिक बढ़ता है तो इससे गेहूं के दानो के छोटे होने और उपज घटने का खतरा बढ़ सकता है। शीतलहर के कारण पौधे की पत्तियां व फूल झुलसते, बाद में झड़ जाते हैं। बारिश व शीतलहर का अत्यधिक असर दलहनी-तिलहनी, धनिया, मटर व आलू की फसलों पर पड़ता है। जिले में मावठा गिरने से चना में फूल गिरने की समस्या हो सकती है।