दुनिया के कोने-कोने में रामलीला की धूम 

रामलीला की बात आते ही हमें नवरात्रि के वो दिन याद आ जाते हैं जब बचपन में परिवार वालों के साथ रामलीला देखने जाया करते थे। दुनिया के बहुत सारे अलग-अलग देशों में भी रामलीला का मंचन होता है।

Oct 7, 2024 - 16:13
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दुनिया के कोने-कोने में रामलीला की धूम 
Ramlila is celebrated in every corner of the world

हम सभी ने कभी न कभी रामलीला का मंचन तो देखा ही होगा। हमें यह भी पता होगा की हमारे इलाके में सबसे लोकप्रिय रामलीला का मंचन कहां होता है। रामलीला की बात आते ही हमें नवरात्रि के वो दिन याद आ जाते हैं जब बचपन में परिवार वालों के साथ रामलीला देखने जाया करते थे। लेकिन क्या आपको मालूम है कि रामलीला मंचन अपने देश भारत तक ही सीमित नहीं है, दुनिया के बहुत सारे अलग-अलग देशों में भी रामलीला का मंचन होता है। आईए जानते हैं किस-किस देश में रामलीला का मंचन कैसे होता है। 

रूस-

रूस में पहली बार रामलीला का मंचन 1960 में मॉस्को चिल्ड्रन्स थिएटर में हुआ था। जिस रूसी एक्टर ने राम भगवान का किरदार निभाया था उसने यह किरदार निभाने कि लिए पूरी तरह शाकाहार को अपना लिया था एवं 40 वर्ष तक लगातार वह रामलीला में राम की भूमिका निभाता रहा। उसे यह किरदार से बहुत लगाव हो गया था एवं राम के रूप में उसने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति भी बटोर ली। उसकी मृत्यु के बाद भारतीय रूसी मित्रता संस्था दिशा ने रामलीला मंचन को जारी रखा और रूस में कई स्थानों पर रामलीला मंचन शुरू किया जो आज भी रूस में हर साल रामलीला आयोजित कराती है। पिछले साल दिशा संस्था ने भारत के अयोध्या में भी रामलीला का मंचन किया था। 

कैरेबियआई देश-

गिनिआ, त्रिनिदाद एंड टोबैगो और सुरीनेम में हर साल धूमधाम से रामलीला मंचन का आयोजन किया जाता है। सन 1838 से 1917 के बीच में भारी संख्या में भारतीय मूल के लोगों को मजदूरी के लिए भारत से इन देशों में लाया गया था जिसके बाद से वे वहीं बस गए। वे भारत मूल के हिन्दू हैं और उन्होंने वहीँ अपनी सांस्कृतिक विरासत को बरकरार रखा। त्रिनिदाद की नाट्य रामलीला बहुत प्रसिद्ध है और बिल्कुल हमारे देश जैसी ही है। वहां के मूल निवासी अश्वेत और कुछ मुस्लिम समुदाय भी बढ़-चढ़ कर रामलीला मंचन किरदार में हिस्सा लेते हैं। उन्हीं में से एक भारतीय मूल के निवासी रामप्रसाद ने बताया कि रामलीला द्वारा वे भारतीय धर्म और संस्कृति को विदेशी धरती पर जीवित रखना चाहते हैं। 

साऊथ ईस्ट देश-

बाली के उलुवतु मंदिर में रोज रामलीला का मंचन होता है। जहां विश्व भर से रामलीला को देखने पर्यटक आते हैं। यहाँ की रामलीला में कुम्भकरण और रावण का नृत्य विश्वप्रसिद्ध एवं उनके किरदारों को जीवंत रूप में प्रदर्शित करता है। थाईलैंड का राष्ट्रीय ग्रन्थ भी रामायण है जिसे वहां रामकिन कहा जाता है। रामलीला वहां धर्म, संस्कृति और मनोरंजन का एक मिश्रण है। भारत की रामलीला में पुरुषों को को ज्यादा जगह दी जाती है पर वहां इसका उल्टा महिलाओं को ज्यादा जगह दी जाती है। एक जगह पर तो महिला ही राम का किरदार निभाती हैं। 

श्रीलंका-

श्रीलंका में बहुत ही कम जगह रामलीला देखने को मिलती है, पर जितनी है वह रावण को नकारात्मक रूप में नहीं दर्शाती। वह बताती है कि बिना वजह लक्ष्मण ने शूर्पनखा कि नाक काट दी थी जिसके कारण रामायण का युद्ध हुआ। वहां राम सीता की जगह रावण मंदोदरी को मुख्य किरदार के रूप में दर्शाया जाता है। रावण को राजा और मंदोदरी को रानी के रूप में दिखाया जाता है। श्रीलंका की सरकार भी विदेशों में भी इस वाली रामायण का मंचन कराती है।