एमपी में हर 4 माह में होगी रीजनल इन्वेस्टर समिट
मप्र को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने के लिए अब प्रदेश में हर चार महीने में क्षेत्रीय इन्वेस्टर समिट आयोजित की जाएंगी। उज्जैन के बाद अब जबलपुर में इन्वेस्टर समिट होने जा रही है। प्रदेश में अधिक से अधिक निवेश लाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने यह फैसला लिया है।
प्रदेश में अधिक निवेश लाने के लिए मुख्यमंत्री ने लिया फैसला
मप्र को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने के लिए अब प्रदेश में हर चार महीने में क्षेत्रीय इन्वेस्टर समिट आयोजित की जाएंगी। उज्जैन के बाद अब जबलपुर में इन्वेस्टर समिट होने जा रही है। प्रदेश में अधिक से अधिक निवेश लाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने यह फैसला लिया है। संभागीय बैठकों में हुए निर्णयों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने इस संबंध में दिशा निर्देश जारी किए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि हर चार महीने में क्षेत्रीय इन्वेस्टर समिति हो। प्रदेश में विकास की प्रक्रिया को गति देने के साथ जनसामान्य की समस्याओं का निराकरण भी होना चाहिए। प्रशासनिक और विभागीय दक्षता व क्षमता बढ़े तो आम आदमी को राहत भी मिले। इसके लिए तहसील, विकासखंड, जिलों और संभाग की सीमाओं का पुर्ननिर्धारण होना चाहिए। इस प्रक्रिया में जन भावनाओं और जनप्रतिनिधियों के विचारों शामिल कर सीमाओं का पुर्ननिर्धारण हो।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश के दूरस्थ अंचलों को बड़े शहरों से जोड़ने, परस्पर दूरी कम करने व तेज गति से विकास के लिए नए एक्सप्रेस-वे की कार्य योजना बनाई जाए। दूरस्थ ग्रामों को निकटतम् जिला मुख्यालयों से जोड़ने, पुलिस कमिश्नरेट व जिला कलेक्टर की व्यवस्था में समन्वय, बड़े शहरों में मेट्रोपॉलिटन सिस्टम के प्रस्तावित क्रियान्वयन को भी इस प्रक्रिया में ध्यान में रखा जाए। सीएम यादव ने जिलों में लैंड बैंक तैयार करने और हर जिले में स्टेडियम निर्माण कराने के लिए भी निर्देश जारी किए।
अवैध रेत खनन में लगी मशीनों को करें जब्त:
उन्होंने रेत के अवैध खनन में लगी मशीनों को तत्काल जब्त करने के भी निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आम आदमी को राहत, प्रदेश में विकास की प्रक्रिया को गति देने, जन सामान्य की समस्याओं को कम करने, प्रशासनिक और विभागीय दक्षता व क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से तहसील, विकासखंड, जिलों और संभाग की सीमाओं का पुनर्निर्धारण किया जाना है। इस प्रक्रिया में जन भावनाओं और जनप्रतिनिधियों के विचारों को अवश्य शामिल किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि संभागीय बैठकों के परिणाम स्वरूप हुए विकास कार्यों तथा अन्य जन-कल्याणकारी गतिविधियों पर केंद्रित संभाग स्तरीय बुकलेट प्रकाशित कराई जाए। उन्होंने उज्जैन में हुई समिट के बाद जबलपुर प्रस्तावित इन्वेस्टर समिट की तैयारियों की जानकारी प्राप्त की।
हर जिले में बनें स्टेडियम-
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में चल रही रेल परियोजनाएं समय-सीमा में पूर्ण हों, इस उद्देश्य से राज्य सरकार के विभाग रेलवे को हर संभव सहयोग प्रदान करें। इसके साथ ही प्रदेश में नए रेल रूट विकसित करने के प्रस्ताव भी तैयार किए जाएं। मुख्यमंत्री ने प्रत्येक जिले में छोटा स्टेडियम विकसित करने के निर्देश भी दिए हैं। साथ ही मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने शिवपुरी मेडिकल कॉलेज निर्माण की प्रगति, प्रदेश से निकलने वाले वाराणसी-मुंबई कॉरिडोर के लिए संबंधित जिलों में लैंड बैंक बनाने और भूमि की उर्वरा शक्ति को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से फसल चक्र को बनाए रखने के लिए चलाए जा रहे जन-जागृति अभियान के संबंध में की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी प्राप्त की। यह भी बताया गया कि शिवपुरी की सीवर लाइन स्वीकृत हो गई है। गुना रिंग रोड, अशोक नगर की पेयजल समस्या के समाधान सहित संभागीय बैठकों के परिणाम स्वरूप जिलों में समय सीमाओं में हुए विकास कार्यों व जन कल्याणकारी गतिविधियों की जानकारी दी गई। उज्जैन और इंदौर के बीच विकसित होने वाले लॉजिस्टिक हब तथा वंडर एंटरटेनमेंट पार्क के लिए भूमि चिह्नित कर ली गई है। हाल के वर्षों में निवेशकों के लिए प्रदेश पहली पसंद बनकर उभरा है। निवेश के लिहाज से उद्योगों के लिए बिजली, पानी और सड़क जैसी आधारभूत सुविधाएं बेहद जरूरी होती हैं। मध्य प्रदेश इन सभी पैमानों पर निवेशकों के लिए खरा उतरा है। प्रदेश में उद्योगों के अनुकूल माहौल बनाने के लिए राज्य सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए। सिंगल विंडो सिस्टम, बिना अनुमति उद्योग की स्थापना समेत उद्योग जगत से किए गए अन्य वादे भी पूरे किए गए हैं। इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि पिछले 10 वर्षों में मध्य प्रदेश में तकरीबन तीन लाख करोड़ के उद्योग धंधे लगे। इन उद्योगों के माध्यम से आर्थिक प्रगति के साथ-साथ दो लाख युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिले। हालांकि, परिस्थितियां अब भी पूरी तरह से दोषहीन नहीं हैं। कई समस्याएं अब भी हैं, जिनमें सुधार की गुंजाइश बनी हुई है। उद्योगों की स्थापना से जुड़े विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली इनमें से एक है। अगर बचे हुए सुधार भी शासन की ओर से लागू कर लिए जाते हैं तो सर्वाधिक निवेश के मामलों में मध्य प्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो जाएगा।