पैरालंपिक में पदक जीतकर रुबीना फ्रांसिस ने शूटिंग में लहराया परचम,जबलपुर में विजेता बेटी का भव्य हुआ स्वागत   

रुबीना फ्रांसिस के शहर आगमन पर जोरदार स्वागत हुआ। रेलवे स्टेशन पर जनप्रतिनिधियों ने विजेता बेटी का स्वागत करके उसका हौसला बढ़ाया।इसके बाद रुबीना फ्रांसिस का काफिला आगे बढ़ा तो पूरे रास्ते जश्न देखा गया। रुबीना फ्रांसिस के घर यानी की गौर पहुंचते ही वहां पर भी कई जनप्रतिनिधि और लोगों ने रुबीना का जोरदार स्वागत किया।

Sep 17, 2024 - 11:20
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पैरालंपिक में पदक जीतकर रुबीना फ्रांसिस ने शूटिंग में लहराया परचम,जबलपुर में विजेता बेटी का भव्य हुआ स्वागत   
Rubina Francis got a warm welcome on her arrival in Jabalpur

दिव्यांगता को मात देकर मध्य प्रदेश के जबलपुर की बेटी रुबीना फ्रांसिस ने पैरालंपिक में पदक जीतकर पूरे देश के साथ संस्कारधानी का नाम रोशन किया है कहते हैं कि अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो फिर अड़चने जितनी भी हो वह मायने नहीं रखती। पेरिस में आयोजित पैरालंपिक 2024 में 10 मीटर एयर पिस्टल h1 इवेंट में कांस्य पदक जीतकर रुबीना फ्रांसिस ने यह साबित कर दिखाया। रुबीना फ्रांसिस के शहर आगमन पर जोरदार स्वागत हुआ। रेलवे स्टेशन पर जनप्रतिनिधियों ने विजेता बेटी का स्वागत करके उसका हौसला बढ़ाया।इसके बाद रुबीना फ्रांसिस का काफिला आगे बढ़ा तो पूरे रास्ते जश्न देखा गया। रुबीना फ्रांसिस के घर यानी की गौर पहुंचते ही वहां पर भी कई जनप्रतिनिधि और लोगों ने रुबीना का जोरदार स्वागत किया।

दिव्यांगता को दी मात

जबलपुर के सिलुआ ग्राम में रहने वाली 25 साल की अंतर्राष्ट्रीय पैरा निशानेबाज रुबीना फ्रांसिस वर्तमान में मुंबई आयकर विभाग में एसआई के पद पर कार्यरत हैं।रुबीना फ्रांसिस बचपन से ही पैरो से दिव्यांग है। रुबीना के हौसले और जज्बे के आगे दिव्यांगता कभी कमजोरी नहीं बनी। रुबीना के पिता साइमन फ्रांसिस एक मोटर मैकेनिक है जबकि उनकी माँ सुनीता फ्रांसिस शहर के एक निजी अस्पताल में नर्स है।रुबीना का बचपन काफी कष्ट भरा रहा है। उनके पिता की आर्थिक स्तिथि ठीक नहीं थी। इसके बाउजूद उन्होंने रुबीना को इस मुकाम तक पहुंचाया।

कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में खेल चुकी हैं रुबीना

पेरिस में आयोजित  पैरालिंपिक- 2024 में 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच1 इवेंट में कांस्य पदक जीतने वाले 25 साल की रूबीना कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में खेल चुकी हैं।अपनी दिव्यांगता को रूबीना ने कभी भी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। यही कारण है कि रुबीना मजह 25 साल की उम्र में देश की सबसे सफल दिव्यांग निशानेबाज बन गई है।