आरजी अस्पताल मामला में संजय रॉय को उम्रकैद, 50 हजार का जुर्माना

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में सोमवार को सजा का एलान किया गया।

Jan 20, 2025 - 16:47
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आरजी अस्पताल मामला में संजय रॉय को उम्रकैद, 50 हजार का जुर्माना
Sanjay Roy sentenced to life imprisonment and fine of Rs 50,000 in RG Hospital case

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में सोमवार को सजा का एलान किया गया। सियालदह अदालत ने दोषी संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई और 50 हजार का जुर्माना भी लगाया। हालांकि, यह फैसला पहले दिये गए वक्त से पहले सुनाया जाना था, लेकिन अदालत ने दोषी और अन्य के बयान सुनने के बाद इसे दोपहर 2:45 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया था।

इससे पहले, संजय रॉय को सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या का दोषी पाया गया था। रॉय के खिलाफ दायर मामलों में न्यूनतम सजा आजीवन कारावास और अधिकतम सजा मौत हो सकती थी। सजा सुनाए जाने से पहले, संजय रॉय ने अदालत में अपनी बेगुनाही का दावा किया और कहा कि उसे फंसाया गया है। इसके जवाब में सीबीआई ने इसे एक जघन्य अपराध बताया और कड़ी सजा की मांग की। पीड़िता के माता-पिता ने भी दोषी के लिए मौत की सजा की मांग की। रॉय के वकील ने इस मामले को दुर्लभतम अपराध बताते हुए कहा कि दोषी को फांसी की बजाय अन्य सजा दी जानी चाहिए, और अदालत को यह बताना चाहिए कि वह सुधार योग्य नहीं है।

क्या है मामला-

यह मामला सियालदह अदालत के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास द्वारा 2024 के अगस्त माह में फैसला सुनाए जाने से जुड़ा है, जब संजय रॉय को आरजी कर अस्पताल में एक स्नातकोत्तर प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या का दोषी ठहराया गया। इस जघन्य अपराध के कारण पूरे देश में आक्रोश फैल गया था और लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन हुए थे। संजय रॉय को 10 अगस्त 2024 को गिरफ्तार किया गया था, जब अस्पताल के सेमिनार कक्ष में एक 31 वर्षीय महिला चिकित्सक का शव मिला था। अदालत ने भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) की धारा 64, 66 और 103(1) के तहत संजय रॉय को दोषी ठहराया।

क्या है सजा का प्रावधान-

बीएनएस की धारा 64 (दुष्कर्म) के तहत कम से कम 10 साल की सजा का प्रावधान है, जो आजीवन कारावास तक बढ़ाई जा सकती है। वहीं, धारा 66 के तहत कम से कम 20 साल की सजा निर्धारित की गई है, और इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। बीएनएस की धारा 103(1) (हत्या) के तहत दोषी को मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान है। इस मामले की जांच पहले कोलकाता पुलिस द्वारा की जा रही थी, लेकिन बाद में इसे कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया। जब न्यायाधीश ने शनिवार को फैसला सुनाया, तब संजय रॉय ने अदालत में अपनी बेगुनाही का दावा किया और कहा कि उसे फंसाया गया है।