संतान सप्तमी का व्रत क्यों है हर महिला के लिए खास
सुहागिन महिलाओं के लिए भाद्रपद माह में पड़ने वाला संतान सप्तमी व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत को करने से साधक को संतान-सुख की प्राप्ति होती है और बालक को लंबी आयु का आशीर्वाद होता है।
हर महिला के लिए खास
सनातन धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए भाद्रपद माह में पड़ने वाला संतान सप्तमी व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस वर्ष यह व्रत आज यानी 10 सितंबर को किया जा रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से साधक को संतान-सुख की प्राप्ति होती है और बालक को लंबी आयु का आशीर्वाद होता है।हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को संतान सप्तमी का व्रत रखा जाता है। यह पर्व देवों के देव महादेव और मां पार्वती को समर्पित है। इस दिन शुभ मूहुर्त में प्रभु की पूजा-अर्चना की जाती है और संतान-सुख की प्राप्ति के लिए कामना की जाती है। पूजा के दौरान महादेव की आरती करना बिल्कुल भी न भूलें। माना जाता है कि संतान सप्तमी के दिन शिव जी की आरती करने से साधक की संतान से जुड़ी समस्या दूर होती है। इसे ललिता सप्तमी, मुक्ताभरण सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है।
संतान सप्तमी शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद की सप्तमी तिथि 09 सितंबर को रात 9 बजकर 53 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 10 सितंबर को रात 11 बजकर 11 मिनट पर होगा। ऐसे में संतान सप्तमी व्रत 10 सितंबर को किया जाएगा।