शिव की पूजा का श्रेष्ठ माह सावन शुरू, देशभर के 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन को उमड़ेंगे भक्त
सावन का महीना हिंदू पंचांग का पांचवां महीना होता है। यह महीना भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। जिसमें भगवान शिव की पूजा-उपासना करने पर हर तरह की मनोकामनाएं जल्द ही पूरी होती हैं।
सावन का महीना हिंदू पंचांग का पांचवां महीना होता है। यह महीना भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। जिसमें भगवान शिव की पूजा-उपासना करने पर हर तरह की मनोकामनाएं जल्द ही पूरी होती हैं। इस बार 22 जुलाई से सावन का महीना आरंभ हो रहा है। हिंदू धर्म ग्रंथों में सावन के महीने को श्रावण के नाम से भी जाना जाता है। इस माह कथा सुनने और देवों के देव महादेव की विशेष पूजा का खास महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक सावन के महीने में शिवलिंग की पूजा और मंदिरों में भोलेनाथ के दर्शन करने पर भोलेनाथ की विशेष कृपा मिलती है। इसके अलावा सावन के महीने में देशभर में स्थित सभी 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजा-आराधना करने का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म में भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है।
आये जानते है कहा है 12 ज्योतिर्लिंग और क्या है इनका धार्मिक महत्व-
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग-
देश के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग में गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। ज्योतिष के मुताबिक जन्म कुंडली में मौजूद चंद्रमा के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की पूजा और दर्शन अत्यंत फलदायक होते हैं।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग-
आंध्र प्रदेश में स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को दक्षिण भारत का कैलाश भी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भगवान शिव और माता पार्वती का संयुक्त रूप है।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग-
यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित है। महाकालेश्वर को कालों का काल महाकाल नाम से जाना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित है।
ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग-
इस ज्योतिर्लिंग के बारे में ऐसी मान्यता है कि भगवान भोलनाथ तीनों लोकों का भ्रमण करने के बाद हर रात को यहां पर विश्राम करने के लिए आते हैं। इस स्थान पर भगवान शिव और माता पार्वती चौसर खेलते हैं।
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग-
केदारनाथ धाम भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है। केदारनाथ का वर्णन स्कन्द पुराण एवं शिव पुराण में मिलता है। केदारनाथ धाम को ऊर्जा का बड़ा केंद्र माना जाता है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग-
इस ज्योतिर्लिंग में स्थापित शिवलिंग काफी बड़ा और मोटा है। जिसकी वजह से इस मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग-
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में काशी विश्वनाथ का स्थान काफी विशेष है। ऐसी मान्यता है कि काशी नगरी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी हुई है। सावन के महीने में भगवान शिव के दर्शन के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु काशी विश्वनाथ पहुंचते हैं। स्कन्द पुराण के अनुसार जो प्रलय में भी लय को प्राप्त नहीं होती,आकाश मंडल से देखने में ध्वज के आकार का प्रकाश पुंज दिखती है वह काशी अविनाशी है।
र्त्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग-
यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है। कालसर्प दोष के निवारण के लिए इस ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व होता है। इस ज्योतिर्लिंग में तीन छोटे-छोटे शिवलिंग है जो त्रिदेव के प्रतीक माने जाते है।
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग-
यह ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। इस स्थान को रावणेश्वर धान के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थान पर रावण ने भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न के लिए अपने 9 सिरों को काटकार शिव जी को अर्पित कर दिया। तब भगवान शिव ने प्रसन्न होकर रावण का वरदान दिया था।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग-
यह ज्योतिलिंग गुजरात के द्वारका में स्थित है। शिवपुराण के अनुसार शिवजी का एक नाम नागेशं दारुकावने भी है। नागेश्वर का अर्थ होता है नागों का ईश्वर।
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग-
शिव पुराण के मुताबिक रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का निर्माण स्वयं भगवान श्रीराम ने किया था। भगवान राम के द्वारा बनाए जाने के कारण इस ज्योतिर्लिंग का नाम रामेश्वरम पड़ा। ऐसी मान्यता है कि लंका पर विजय हासिल करने के बाद भगवान राम ने समुद्र तट पर बालू से शिवलिंग बनाकर स्वयं पूजा की थी।
घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग-
यह ज्योतिलिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग को घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।