विज्ञान कहता है गंगाजल सबसे पवित्र 

28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की खास वजह है भारतीय वैज्ञानिक सर सीवी रमन द्वारा खोजे गए रमन इफेक्ट को याद करना।  इसके लिए 1930 को नोबेल पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। जिसके कारण सर सीवी रमन पहले ऐसे भारतीय वैज्ञानिक कहलाए जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में देश को नोबल पुरस्कार दिलवाया।

Feb 27, 2025 - 16:10
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विज्ञान कहता है गंगाजल सबसे पवित्र 
Science says Ganga water is the holiest

28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की खास वजह है भारतीय वैज्ञानिक सर सीवी रमन द्वारा खोजे गए रमन इफेक्ट को याद करना।  इसके लिए 1930 को नोबेल पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। जिसके कारण सर सीवी रमन पहले ऐसे भारतीय वैज्ञानिक कहलाए जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में देश को नोबल पुरस्कार दिलवाया। विज्ञान के क्षेत्र में लगातार विकास हुआ है। हर एक घटना और हर एक चीज के पीछे विज्ञान होता है। हाल ही में हुए महाकुंभ 2025 को देखा जाए तो विज्ञान और तकनीकी ही इसकी भव्यता की वजह है। करोड़ों लोगों के गंगा में स्नान के बावजूद इसका जल शुद्ध बना हुआ है। इसके पीछे भी विज्ञान ही है। आइए जानते हैं क्यों खास है गंगा का जल और इसे दुनिया का सबसे पवित्र जल क्यों माना जाता है ? 

जड़ी-बूटियों से युक्त है गंगा का जल 

वैज्ञानिक शोध से पता चलता है कि गंगा नदी के जल में ऐसे जीवाणु होते हैं, जो लड़ाने वाले कीटाणुओं को पनपने नहीं देते हैं। जिसके कारण लंबे समय तक पानी खराब नहीं होता। वैज्ञानिक बताते हैं कि हरिद्वार में गोमुख- गंगोत्री से आ रही गंगा के जल की गुणवत्ता पर इसलिए कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता, क्योंकि यह हिमालय पर्वत पर उगी हुई अनेक जीवनदायिनी उपयोगी जड़ी-बूटियों, खनिज पदार्थों और लवणों को स्पर्श करता हुआ आता है। 

अवांछनीय पदार्थों को खाता है बैक्टीरिया

वैज्ञानिक शोध से पता चलता है कि गंगाजल में बैक्टीरिया फोस नामक एक बैक्टीरिया पाया गया है, जो पानी के अंदर रसायनिक क्रियाओं से उत्पन्न होने वाले अवांछनीय पदार्थों को खाता रहता है। इससे जल की शुद्धता बनी रहती है। गंगा के पानी में गंधक( सल्फर) की प्रचुर मात्रा मौजूद रहती है। जिसके कारण यह खराब नहीं होता। 

कई रोगों का होता है नाश 

एक बार बैक्टीरियलॉजिस्ट डॉ.अर्न्स्ट हैकिन्स, ब्रिटिश सरकार की ओर से गंगाजल से दूर होने वाले रोगों के परीक्षण के लिए आए थे। उन्होंने गंगाजल के परीक्षण के लिए गंगाजल में हेजे के किटाणु डाले। हैजे के किटाणु मात्र 6 घंटे में ही मर गए और जब उन किटाणुओं को साधारण पानी में रखा गया तो वे जीवित होकर असीमित संख्या में बढ़ गए। इस तरह देखा गया कि गंगाजल विभिन्न रोगों को दूर करने वाला जल है।