शिगेरूप इशिबा होंगे जापान के नए प्रधानमंत्री
शिगेरूप इशिबा के रूप में जापान को उसका नया प्रधानमंत्री मिल गया है। सत्तारूढ़ पार्टी ने शिगेरु इशिबा को वह की जनता ने अपना नेता चुन लिया है। अगले सप्ताह से वह अपना कार्यभार संभालेंगे।
अगले सप्ताह प्रस्तावित मतदान में चुना जाना तय
शिगेरूप इशिबा के रूप में जापान को उसका नया प्रधानमंत्री मिल गया है। सत्तारूढ़ पार्टी ने शिगेरु इशिबा को वह की जनता ने अपना नेता चुन लिया है। अगले सप्ताह से वह अपना कार्यभार संभालेंगे। बता दें कि मतदान के जरिए सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के इशिबा को तकनीकी रूप से पार्टी का नया नेता चुना गया। संसद में अब अगले सप्ताह प्रस्तावित मतदान में उनका प्रधानमंत्री के रूप में चुना जाना तय हो गया है, क्योंकि पार्टी का सत्तारूढ़ गठबंधन दोनों सदनों में बहुमत में है। इस चुनाव में दो महिलाओं सहित नौ उम्मीदवार मैदान में उतरे थे।
भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे है फुमियो किशिदा-
इशिबा को पार्टी के सांसदों और जमीनी स्तर के सदस्यों द्वारा मतदान के जरिए चुना गया। बता दे कि, प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हुए हैं, और उनकी पार्टी आगामी आम चुनाव से पहले जनता का विश्वास फिर से पाने के लिए एक नए नेता की तलाश कर रही है। मतदान में केवल संसद के एलडीपी सदस्यों और लगभग 10 लाख बकाया भुगतान करने वाले पार्टी सदस्यों ने हिस्सा लिया, जो कि देश के कुल योग्य मतदाताओं का सिर्फ एक प्रतिशत है। पार्टी के बड़े नेताओं के बीच चल रही अंदरूनी चर्चाओं और समझौतों के कारण यह स्पष्ट नहीं था कि इस चुनाव में किसकी जीत होगी। मिली जानकारी के मुताबिक, शिगेरू इशिबा, आर्थिक सुरक्षा मंत्री साने ताकाइची, और पूर्व पर्यावरण मंत्री शिंजिरो कोइज़ुमी दौड़ में आगे थे।
ताकाइची चूके पूर्व पीएम शिंजो के करीब-
ताकाइची, पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की करीबी मानी जाती हैं और कट्टर रूढ़िवादी नेताओं में उनकी गिनती होती है। 2021 में ताकाइची ने किशिदा के खिलाफ चुनाव लड़ा था। कोइज़ुमी, पूर्व प्रधानमंत्री जुनिचिरो कोइज़ुमी के बेटे हैं। पिछले मतदानों में पार्टी के शक्तिशाली गुटों के नेता अक्सर उम्मीदवार तय करते थे, लेकिन इस बार छह गुटों में से एक को छोड़कर सभी ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद विलय की घोषणा की है। विशेषज्ञों ने चिंता जताई की अगर चुनाव का विजेता गुटीय समर्थन नहीं पाता है, तो जापान एक बार फिर 2000 के दशक की राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर सकता है, जब कई बार नेतृत्व परिवर्तन हुए थे। अल्पकालिक सरकारों के मुखिया बनने वाले जापानी प्रधानमंत्रियों की दीर्घकालिक नीतियों को स्थापित करने या अन्य नेताओं के साथ विश्वसनीय संबंध बनाने की क्षमता पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस दौड़ में ताकाइची और विदेश मंत्री योको कामीकावा ही शामिल होने वाली दो महिलाएं थीं।
पीएम किशिदा देंगे इस्तीफा-
जापान की संसद के निचले सदन में महिलाओं का संख्या मात्र 10.3 प्रतिशत है। जेनेवा स्थित अंतर-संसदीय संघ की अप्रैल में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, 190 देशों में महिला प्रतिनिधित्व के मामले में जापान 163 वें स्थान पर है। मंगलवार को किशिदा और उनके कैबिनेट मंत्री इस्तीफा देंगे। एलडीपी के घोटालों के बावजूद, मुख्य विपक्षी दल, जापान की उदारवादी-झुकाव वाली कांस्टीट्यूशनल डेमोक्रेटिक पार्टी, अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए संघर्ष कर रही है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इसके नए नेता योशिहिको नोडा पार्टी के लिए एक रूढ़िवादी बदलाव का समर्थन कर रहे हैं और वे व्यापक राजनीतिक पुनर्संरचना की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। नोडा जापान के पूर्व प्रधानमंत्री हैं और उन्हें मध्यमार्गी नेताओं में शामिल किया जाता है।
कौन हैं शिगेरू इशिबा
शिगेरु इशिबा जापान के पूर्व रक्षामंत्री रहा चुके हैं। उन्हें किताबे पढ़ने का बहुत शौक है। इशिबा एक दिन में तीन किताबें पढ़ डालते है। इशिबा (67) जो कि खुद को अक्सर अकेला मानते थे वे पिछले चार असफल प्रयासों के बाद लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के शीर्ष पर पहुंच गए। पिछले सात दशकों में पार्टी ने जापान पर अधिकांश समय शासन किया है। इशिबा ने संकट के समय पार्टी की कमान संभाली, पिछले दो वर्षों में आलोचकों द्वारा एक पंथ कहे जाने वाले चर्च से संबंधों के खुलासे और रिकॉर्ड न किए गए दान पर घोटाले के कारण जनता का समर्थन कम होता जा रहा है। इशिबा 1986 में पहली बार संसद पहुंचे थे। मगर निवर्तमान प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा ने उन्हें फिलहाल दरकिनार कर दिया और इसके बजाय पार्टी में एक असहमति की आवाज बन गईं। इशिबा ने कहा कि मैं इसे अपनी अंतिम लड़ाई मानता हूं। उन्होंने ग्रामीण टोटोरी प्रान्त में एक शिंटो मंदिर में अपना अभियान शुरू किया था। यहां इशिबा के पिता गवर्नर थे और इशिबा ने जापान की तेजी से बढ़ती बुलबुला अर्थव्यवस्था के चरम पर अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था।