शिवराज सिंह चौहान...सत्ता में रहेंगे या संगठन में...
खुद की बड़ी जीत और बड़ी संख्या में समर्थक नेताओं के लोकसभा चुनाव में जीतने के कारण पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का दिल्ली में दबदबा बढ़ गया है। उनके दिल्ली में बढे हुए दबदबे का असर आने वाले समय में मध्यप्रदेश की राजनीति में भी देखने को मिलेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री की भूमिका का इंतजार, दिल्ली में बढ़ा रुतबा, प्रदेश में बढ़ेगा दखल
खुद की बड़ी जीत और बड़ी संख्या में समर्थक नेताओं के लोकसभा चुनाव में जीतने के कारण पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का दिल्ली में दबदबा बढ़ गया है। उनके दिल्ली में बढे हुए दबदबे का असर आने वाले समय में मध्यप्रदेश की राजनीति में भी देखने को मिलेगा।
इस बार मध्यप्रदेश से भाजपा के जो 29 सांसद जीते हैं, उनमें से 15 चौहान के कट्टर समर्थक हैं। इनमें से कई तो ऐसे हैं, जिनकी चुनावी राजनीति की शुरुआत की शिवराज के मुख्यमंत्री रहते हुए और इनमें से कई को तो उन्हीं की पसंद के चलते पहली बार लोकसभा का टिकट मिला था। इंदौर से शंकर लालवानी और उज्जैन से अनिल फिरोजिया जैसे सांसद तो इस चुनाव में तमाम विरोध के बावजूद सिर्फ इसलिए टिकट पाने में सफल हुए कि शिवराज उनके साथ दमदारी से खड़े रहे। राजगढ़ से कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को हराकर तीसरी बार चुनाव जीते रोडमल नागर की उम्मीदवारी भी शिवराज के कारण ही बच पाई थी। विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद शिवराज की पसंद के चलते ही आलोक शर्मा को भोपाल से टिकट मिला और उन्होंने बड़ी जीत हासिल की। होशंगाबाद से दर्शनसिंह चौधरी को टिकट दिलवाने में भी उन्हीं की बड़ी भूमिका रही। दूसरी बार चुनाव जीते महेंद्रसिंह सोलंकी, गजेंद्र पटेल, सावित्री ठाकुर पर ज्ञानेश्वर पटेल भाजपा की राजनीति में दूसरे नेताओं की तुलना में शिवराज के ज्यादा नजदीक की माने जाते हैं। अपने समर्थक नेताओं की लोकसभा में जीत सुनिश्चित करने के लिए शिवराज ने एक-एक दिन में पांच-पांच सभाएं तक की।
हेलिकॉप्टर उपलब्ध नहीं होने के कारण वे सड़क मार्ग से लंबा सफर तय कर कई लोकसभा क्षेत्र में पहुंचे। दिल्ली की राजनीति में इस बार शिवराज अहम भूमिका में रहेंगे यह तो तय सा है। यह भूमिका सत्ता में होगी या संगठन में इसका फैसला जरूर अभी होना बाकी है। शिवराज पार्टी के बेहद निष्ठावान नेता माने जाते हैं और संगठन में जो भी जिम्मेदारी उन्हें समय-समय पर सौंपी, उसका उन्होंने निर्वहन किया।भाजपा में तो उनके समर्थकों की बड़ी फौज है ही, संघ के भी वह प्रियपात्र हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं में वे सर्वाधिक लोकप्रिय नेता की छवि रखते हैं और अपने कार्यकाल की दो बड़ी योजनाओं लाड़ली लक्ष्मी और लाड़ली बहना के कारण उन्हें महिलाओं के बीच लोकप्रिय माना जाता है। 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को उनकी इसी है लोकप्रियता का बहुत फायदा भी मिला। पार्टी के भीतर भी यह माना जाने लगा है कि दिल्ली में शिवराज के बढ़ते रुतबे का असर मध्यप्रदेश में भी देखने को मिलेगा। हालांकि विधानसभा चुनाव के बाद से उन्होंने अपना दायरा सीमित कर लिया था, लेकिन अब यहां की राजनीति में उनकी दखल बढ़ेगी।