मध्य प्रदेश में कांग्रेस चुनाव लड़े या पलायन रोके?

इन दिनों मध्यप्रदेश बीजेपी कार्यालय में उत्सव का माहौल बना रहता है। जबकि कांग्रेस के पीसीसी भवन में सन्नाटा पसरा रहता है। वजह मध्यप्रदेश में एक जनवरी 2024 से मार्च 2024 तक महज 80 दिनों में 14758 कांगे्रसी नेताओं, कार्यकर्ताओं और पार्टी पदाधिकारियों ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा है। इसमें कई पूर्व केन्द्रीय मंत्री, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक और कार्यकर्ता शामिल हैं। 

Mar 21, 2024 - 15:12
Mar 21, 2024 - 16:10
 7
मध्य प्रदेश में कांग्रेस चुनाव लड़े या पलायन रोके?
Should Congress contest elections in Madhya Pradesh or stop migration?

3 माह में 14 हजार से ज्यादा नेता-कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल 

मतलूब अंसारी

चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। सभी सियासी दल अपने-अपने स्तर पर चुनाव लड़ने से लेकर जीतने तक प्लानिंग में जुटी है। लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस अलग की तरह की समस्याओं ने जूझ रही है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती। 2024 का नया साल तो मानो प्रदेश के कांग्रेस कुनबे पर कहर बनकर टूट पड़ा। बीते 3 माह में तकरीबन 15 हजार कांग्रेस पदाधिकारी, नेता, कार्यकर्ता और पूर्व विधायकों ने पाला बदला है। यानी हर  करीब 200 नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस छोड़ी। कांग्रेस ने अभी तक उम्मीदवारों की लिस्ट भी जारी नहीं की। कांग्रेस आलाकमान की दिक्कत ये है कि चुनाव लड़े या पलायन रोके।
लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं का पाला बदलने का सिलसिला जारी है। इसमें सबसे ज्यादा भगदड़ कांग्रेस में मची है। एक जनवरी 2024 से लेकर अब तक लगभग हर दिन कहीं न कहीं से कांग्रेस को बुरी खबर मिल ही जाती है। आज गुरुवार 21 मार्च भी कांग्रेस के लिए अच्छा नहीं रहा। नागौद से पूर्व विधायक यादवेंन्द्र सिंह के भाजपा में शामिल होने की खबर है। यादवेंद्र सिंह ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर बसपा से चुनाव लड़ा था। अब वे भाजपा की सदस्यता लेने वाले हैं। 

ये बड़े नेता हुए भाजपा में शामिल-

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, जबलपुर महापौर जगत बहादुर अन्नू, पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी, पूर्व विधायकों में देपालपुर से विधायक विशाल पटेल, इंदौर-1 से पूर्व विधायक संजय शुक्ला, पिपरिया से पूर्व विधायक अर्जुन पलिया, टीकमगढ़ से पूर्व विधायक दिनेश अहिरवार, सागर खुरई से पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे, गुन्नौर से पूर्व विधायक शिवदयाल बागरी, चौरई से पूर्व विधायक चौधरी गंभीर सिंह, भांडेर से विधायक कमलापत आर्य शामिल हैं। इसके अलावा बड़वानी जिला कांग्रेस अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह राठौर, पूर्व एडीजी सुखराज सिंह, विदिशा कांग्रेस जिला अध्यक्ष राकेश कटारे, डिंडौरी जिला पंचायत अध्यक्ष रुद्रेश परस्ते, छिंदवाड़ा से आने वाले कमलनाथ के करीबी और कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सैयद जाफर, पूर्व महाधिवक्ता व कांग्रेस मीडिया सेल शशांक शेखर सिंह, कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष योगेंद्र सिंह बंटी बना समेत कई नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ली। 

370 प्लस सीटों का लक्ष्य-

राजनीति जानकारों का कहना है कि भाजपा ने इस बार 370 प्लस सीटों का ऐसा लक्ष्य तय किया है, जो असंभवन सा दिखता है। अभई तक इंदिरा गांधी की मौत के बाद सहानुभूति लहर में कांग्रेस को 400 से ज्यादा सीटें मिली थी। अब उस असंभव को संभव बनाने के लिए भाजपा हर तरीका और दांवपेंच आजमा रही है। भाजपा कांग्रेस के हर छोटे बड़े नेता को इसलिए ले रही है जिससे कांग्रेस के प्रति मतदाताओं में अविश्वास पैदा हो। वे भाजपा को वोट कर और उनके लक्ष्य को साधने में मददगार बनें। कांग्रेस से भाजपा में आने वाले ज्यादातर नेताओं की उपयोगिता सिर्फ इस लोकसभा चुनाव तक है। यह इससे भी साबित होता है कि पार्टी में आए किसी भी नए नेता को लोकसभा का टिकट नहीं दिया गया।