सृष्टि रचना में दिखाई अपनी शिल्पकारी, भगवान विश्वकर्मा की पूजा से खोले तरक्की के द्वार
विश्वकर्मा जयंती का संबंध सिर्फ वेल्डर, मिस्त्री और कारीगरों से नहीं होता। हर किसी को अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मा जी के 7 वें पुत्र थे।
विश्वकर्मा जयंती का संबंध सिर्फ वेल्डर, मिस्त्री और कारीगरों से नहीं होता। हर किसी को अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मा जी के 7 वें पुत्र थे। जो पहले वास्तुकला और शिल्पकार थे। जब ब्रह्मा जी ने पृथ्वी का निर्माण किया तब उन्होंने इसे संवारने का काम विश्वकर्मा जी को दिया। जिसे उन्होंने बखूबी किया। इसलिए जब भी अस्त्र शस्त्र और वास्तु की बात होती है वहां पर विश्वकर्मा जी का जिक्र जरूर होता है। विश्वकर्मा जयंती के दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन काफी महत्व है। यह भी कहा जाता है कि इस दिन अपने अस्त्रों, शस्त्रों और उपकरणों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, बल्कि आज के दिन इन्हें साफ करके इनकी पूजा करना चाहिए। ऐसा करने से व्यापार और कारोबार में तरक्की होती है। घर में सुख समृद्धि आती है। विश्वकर्मा जयंती भाद्र पद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। इस बार यह 16 सितंबर को पड़ रही है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा को अस्त्रों के साथ सजाया जाएगा, ज्योतिषार्य के मुताबिक 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजन किया जाएगा।
सृष्टि सृजन में दिखाई अपनी शिल्पकारी
कहा जाता है कि जब ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना कर रहे थे, तब उनके सातवें पुत्र भगवान विश्वकर्मा ने उनकी मदद की थी और सजाने का कार्य उन्हें सौंपा था। जिसे भगवान विश्वकर्मा से अच्छे से पूरा किया और तभी से उन्हें सृष्टि का पहला शिल्पकार कहा जाने लगा। विश्वकर्मा जयंती के दिन अपनी दुकानों, फैक्ट्रियों और ऑफिस को साफ करें और भगवान विश्वकर्मा के साथ श्रीहरि यानी विष्णु भगवान की पूजा करना न भूलें। ऐसा करने से आप पर भगवान का आशीर्वाद बना रहेगा और आप तरक्की की राह पर निकल पडेंगे।