साहब...अस्पताल वालों ने बच्चा बदल दिया

जबलपुर के अधारताल क्षेत्र निवासी एक दंपती ने गोहलपुर थाने को दी शिकायत में कहा है कि रद्दी चौकी रामनगर स्थित संजीवन हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने उनका नवजात बच्चा बदल दिया है।

Nov 11, 2024 - 14:46
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साहब...अस्पताल वालों ने बच्चा बदल दिया
Sir...the hospital people replaced the baby

दंपती ने लगाए गंभीर आरोप, पुलिस जांच जारी

द त्रिकाल डेस्क, जबलपुर। 

जबलपुर के अधारताल क्षेत्र निवासी एक दंपती ने गोहलपुर थाने को दी शिकायत में कहा है कि रद्दी चौकी रामनगर स्थित संजीवन हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने उनका नवजात बच्चा बदल दिया है। शिकायत में दावा किया गया है कि उन्होंने सामान्य शिशु को जन्म दिया था, लेकिन अस्पताल वालों ने उन्हें असामान्य बच्चा दे दिया है। हालांकि, अभी ये केवल दंपती का पक्ष ही है। जांच के बाद इससे जुड़े अन्य तथ्य सामने आएंगे।

-दंपती ने लगाए ये इल्जाम

जबलपुर के अधारताल के रहने वाले शरद चौबे व उनकी पत्नि श्वेता चौबे द्वारा की गयी शिकायत में कहा गया है कि वे अस्पताल पर ये इल्जाम इसलिए लगा रहे हैं,क्योंकि पत्नि श्वेता के गर्भवती होने से डिलेवरी के दौरान की सभी सोनोग्राफी एवं अन्य मेडिकल जांचों की रिपोर्ट्स नॉर्मल हैं और उनमें जरा भी शंका जाहिर नहीं की गयी कि बच्चे में आसामान्य होने के कोई लक्षण हैं। शिकायत में अहम तथ्य है कि 7 नवम्बर 2024 को संजीवन हॉस्पिटल में श्वेता चौबे के सीजेरियन ऑपरेशन के एक घंटे बाद उन्हें जो बच्चा दिया गया उसे पूरे कपड़े पहनाए गये थे। नवजात को पूरे कपड़े पहनाना ही एक संदेह करने के लिए पर्याप्त है। शिकायत के साथ चौबे परिवार ने वो सारी रिपोर्ट्स और दस्तावेज संलग्न किए हैं, जिससे बच्चा बदलने के शक को बल मिलता है।

ये मेरा बच्चा नहीं-

शरद चौबे ने बताया कि जब अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें बच्चा दिया तो उन्होंने ईश्वर की मर्जी समझकर अविकसित बच्चे को भी स्वीकार कर लिया, इस वक्त तक पत्नि श्वेता आईसीयू में थी। जब उसने बच्चा देखा तो उसने कहा कि ये उसका बच्चा नहीं है, क्योंकि उसने जांचों के दौरान बच्चे को स्क्रीन पर देखा है। इसके बाद चौबे परिवार सक्रिय हुआ और अस्पताल प्रबंधन से सवाल-जवाब किए।

-कहां है बच्चा, ये चिंता बड़ी

चौबे परिवार को ये चिंता ज्यादा है कि यदि सही वक्त पर पुलिस ने जांच शुरु नहीं की तो उनका असली बच्चा पता नहीं कहां पहुंच जाएगा। हालाकि, परिवार आज एसपी संपत उपाध्याय को अपनी व्यथा-कथा सुनाएगा ताकि जल्दी कार्रवाई शुरु हो सके। परिवार के सामने ये भी बड़ी मुश्किल है कि जो बच्चा उनके पास अभी है, वो किसका है,ये भी पता लगाना जरूरी है।