किस्मत के खेल,नोएडा से अपहरण के 30 साल बाद अपने परिवार से मिला बेटा

नोएडा से 1993 में अगवा किया गया भीम सिंह 30 साल बाद अपने परिवार से मिला। वह 30 साल से राजस्थान के जैसलमेर में बंधुआ मजदूर की तरह जी रहा था। भीम सिंह को स्कूल से लौटते समय ऑटो गैंग ने अगवा कर लिया था।

Nov 29, 2024 - 11:16
Nov 29, 2024 - 11:16
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किस्मत के खेल,नोएडा से अपहरण के 30 साल बाद अपने परिवार से मिला बेटा
Son reunited with his family 30 years after being kidnapped from Noida

किस्मत के खेल निराले होते है। उत्तरप्रदेश (UP) के नोएडा (Noida) से 1993 में अगवा किया गया भीम सिंह 30 साल बाद अपने परिवार से मिला। वह 30 साल से राजस्थान (Rajasthan) के जैसलमेर (jaisalmer) में बंधुआ मजदूर की तरह जी रहा था। एक चरवाहे के घर में भेड़-बकरी चराता था। उसे पेड़ से बांधकर जानवरों के साथ रखा जाता था।

भीम सिंह की हालत देखकर एक व्यापारी को दया आ गई। उसने भीम सिंह की धुंधली यादों के सहारे पत्र लिखा। इसी पत्र को लेकर भीम गाजियाबाद के खोड़ा पुलिस स्टेशन पहुंचा। भीम ने पुलिस को बताया कि गृह नोएडा में कहीं का रहने वाला है। उसका 1993 में अपहरण कर लिया गया था। उसके माता-पिता और चार बहने हैं। वह इकलौता बेटा हैं।

ऑटो गैंग की करतूत

बिजली विभाग से रिटायर तुलाराम के 9 साल के बेटे को स्कूल से लौटते समय ऑटो गैंग ने अगवा कर लिया था। उन्हें 7.4 लाख रुपए की फिरौती की मांग वाला पत्र मिला, लेकिन उसके बाद अपहरणकर्ताओं ने कोई संपर्क नहीं किया।

रोटी और चाय के सहारे

भीम ने बताया कि उसे चरवाहा पेड़ से बांधकर रखता था, ताकि भाग न सके। खाने के लिए रोटी का एक टुकड़ा और चाय मिलती थी। उसे स्कूल से लाने वाले ऑटो ड्राइवर ने ही अगवा कर ट्रक चालक को सौंप दिया था। इसके बाद ट्रक चालक ने उसे बेच दिया।

पिता की भर आई आखें 

गाजियाबाद (Ghaziabad) के खोड़ा पुलिस स्टेशन में बाप बेटे एक दूसरे से मिले तो दोनों को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। तुलाराम ने अपने बेटे को प्यार भरा नाम राजू दिया था। उसके हाथ पर 'राजू' नाम का टैटू बनवाया था। उसके दाहिने पैर पर एक तिल था। इन निशानों की मदद से परिवार ने अपने बेटे की पहचान की।

Matloob Ansari मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर से ताल्लुक, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से पत्रकारिता की डिग्री बीजेसी (बैचलर ऑफ जर्नलिज्म) के बाद स्थानीय दैनिक अखबारों के साथ करियर की शुरुआत की। कई रीजनल, लोकल न्यूज चैनलों के बाद जागरण ग्रुप के नईदुनिया जबलपुर पहुंचे। इसके बाद अग्निबाण जबलपुर में बतौर समाचार सम्पादक कार्य किया। वर्तमान में द त्रिकाल डिजीटल मीडिया में बतौर समाचार सम्पादक सेवाएं जारी हैं।