किस्मत के खेल,नोएडा से अपहरण के 30 साल बाद अपने परिवार से मिला बेटा
नोएडा से 1993 में अगवा किया गया भीम सिंह 30 साल बाद अपने परिवार से मिला। वह 30 साल से राजस्थान के जैसलमेर में बंधुआ मजदूर की तरह जी रहा था। भीम सिंह को स्कूल से लौटते समय ऑटो गैंग ने अगवा कर लिया था।
किस्मत के खेल निराले होते है। उत्तरप्रदेश (UP) के नोएडा (Noida) से 1993 में अगवा किया गया भीम सिंह 30 साल बाद अपने परिवार से मिला। वह 30 साल से राजस्थान (Rajasthan) के जैसलमेर (jaisalmer) में बंधुआ मजदूर की तरह जी रहा था। एक चरवाहे के घर में भेड़-बकरी चराता था। उसे पेड़ से बांधकर जानवरों के साथ रखा जाता था।
भीम सिंह की हालत देखकर एक व्यापारी को दया आ गई। उसने भीम सिंह की धुंधली यादों के सहारे पत्र लिखा। इसी पत्र को लेकर भीम गाजियाबाद के खोड़ा पुलिस स्टेशन पहुंचा। भीम ने पुलिस को बताया कि गृह नोएडा में कहीं का रहने वाला है। उसका 1993 में अपहरण कर लिया गया था। उसके माता-पिता और चार बहने हैं। वह इकलौता बेटा हैं।
ऑटो गैंग की करतूत
बिजली विभाग से रिटायर तुलाराम के 9 साल के बेटे को स्कूल से लौटते समय ऑटो गैंग ने अगवा कर लिया था। उन्हें 7.4 लाख रुपए की फिरौती की मांग वाला पत्र मिला, लेकिन उसके बाद अपहरणकर्ताओं ने कोई संपर्क नहीं किया।
रोटी और चाय के सहारे
भीम ने बताया कि उसे चरवाहा पेड़ से बांधकर रखता था, ताकि भाग न सके। खाने के लिए रोटी का एक टुकड़ा और चाय मिलती थी। उसे स्कूल से लाने वाले ऑटो ड्राइवर ने ही अगवा कर ट्रक चालक को सौंप दिया था। इसके बाद ट्रक चालक ने उसे बेच दिया।
पिता की भर आई आखें
गाजियाबाद (Ghaziabad) के खोड़ा पुलिस स्टेशन में बाप बेटे एक दूसरे से मिले तो दोनों को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। तुलाराम ने अपने बेटे को प्यार भरा नाम राजू दिया था। उसके हाथ पर 'राजू' नाम का टैटू बनवाया था। उसके दाहिने पैर पर एक तिल था। इन निशानों की मदद से परिवार ने अपने बेटे की पहचान की।