एक-एक बोरी खाद के लिये संघर्ष
डीएपी खाद की कमी से परेशान किसान सुबह तीन बजे से खाद वितरण केंद्रों के सामने खड़े होकर खाद मिलने का इंतजार कर रहे हैं।
रात में तीन बजे से लाइन लगा रहे किसान, जबलपुर के पनागर में हंगामा
द त्रिकाल डेस्क, जबलपुर।
डीएपी खाद की कमी से परेशान किसान सुबह तीन बजे से खाद वितरण केंद्रों के सामने खड़े होकर खाद मिलने का इंतजार कर रहे हैं। पनागर तहसील के खाद वितरण केंद्र की एक तस्वीर सामने आई है, जहां किसानों ने लाइन में खड़े होने की जगह अपनी बही और आधार कार्ड रखकर लंबी-लंबी लाइन बनाई हुई है।
किसानों ने लगाए कालाबाजारी के आरोप-
किसानों का आरोप है कि खाद वितरण केंद्र में डीएपी न मिलने के कारण प्राइवेट दुकानों में इसकी कालाबाजारी हो रही है, जहाँ इसे 1800 से 2000 रुपए प्रति बैग तक बेचा जा रहा है, जबकि बाजार में इसकी कीमत 1350 रुपए प्रति बैग है। भारतीय किसान संघ ने सरकार से मांग की है कि किसानों को सरलता से खाद की व्यवस्था करवाई जाए।
-डीलर के पास पर्याप्त स्टॉक
भारतीय किसान संघ के प्रांत महामंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने डीएपी की कालाबाजारी का आरोप लगाते हुए कहा कि शासन द्वारा वितरित की जाने वाली डीएपी की वितरण व्यवस्था चरमरा गई है। सभी खाद वितरण केंद्रों पर घंटों लाइन में लगने के बाद भी एक बोरी डीएपी खाद मिलना मुश्किल है। दूसरी ओर, निजी इनपुट डीलर के पास डीएपी की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध है, और वह इसे 1800 से 2000 रुपए प्रति बैग बेच रहा है, जबकि इसका अधिकतम खुदरा मूल्य 1350 रुपए प्रति बैग है। सवाल ये उठता है कि जब डीएपी की शॉर्टेज है, तो यह बाजार में कैसे उपलब्ध है।
भारतीय किसान संघ का आरोप है कि बीज निगम के माध्यम से किसानों को रियायती दर पर वितरित किए जाने वाले बीजों में भी जमकर घालमेल हो रहा है। आज जब बीज की आवश्यकता है, तो शासन द्वारा किसानों को वितरण नहीं किया जा रहा है। किसान बाजार से महंगे दाम पर बीज खरीद कर बुवाई कर लेता है, तब शासन द्वारा उसका वितरण किया जाता है। बाद में किसान को वितरण दिखाकर इसे अधिक दामों पर बाजार में बेच दिया जाता है। भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष रामदास पटेल ने जिला प्रशासन से मांग की है कि जिले में खाद और बीज की पर्याप्त व्यवस्था की जाए और कालाबाजारी व नकली खाद बेचने वाले इनपुट डीलरों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
क्यों जरूरी है डीएपी-
डीएपी को आधार खाद कहा जाता है, जिसे बीज की स्वस्थ अंकुरण और जड़ों के विकास के लिए खेत में डाला जाता है। इसमें 18 प्रतिशत नाइट्रोजन और 46 प्रतिशत फास्फोरस की मात्रा होती है। प्रति एकड़ 50 किलोग्राम डीएपी खाद का उपयोग किया जाता है।