नए ऑटो के परमिट-रजिस्ट्रेशन से रोक हटाने हाईकोर्ट ने किया इंकार
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सक्सेना व न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने जबलपुर में नए ऑटो के परमिट रजिस्ट्रशन पर लगी रोक हटाने से इनकार कर दिया। इस तरह हस्तक्षेपकर्ता ऑटो रिक्शा विक्रेताओं को राहत नहीं मिली।
मधय प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सक्सेना व न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने जबलपुर में नए ऑटो के परमिट रजिस्ट्रशन पर लगी रोक हटाने से इनकार कर दिया। इस तरह हस्तक्षेपकर्ता ऑटो रिक्शा विक्रेताओं को राहत नहीं मिली। कोर्ट ने राज्य शासन को स्टेटस रिपोर्ट पेश करने चार सप्ताह का समय दिया है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता सतीश वर्मा व कोर्ट मित्र अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने कोर्ट को अवगत कराया कि जबलपुर जिले में अवैध और बिना परमिट छह हजार से अधिक आटो संचालित हैं। इन पर सरकार अभी तक ठोस अंकुश सुनिश्चित नहीं कर सकी है। आलम यह है कि आटो चालक 10 से 15 तक सवारियां ठूंस कर भर लेते हैं। इस वजह से आटो अनियंत्रित होकर दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका प्रतिपल बनी रहती है। यातायात के मामले में आतंक का पर्याय बन चुके आटो की ड्रायवर सीट तक पर तीन सवारी बैठा ली जाती हैं। ये सभी आटो कांट्रेक्ट कैरेज से संचालित नहीं हो रहे हैं।
-ई-रिक्शा बन गए परेशानी
हाई कोर्ट को अवगत कराया गया कि पंरपरागत आटो की मनमानी से शहर की जनता जूझ ही रही थी कि ई-रिक्शा की शक्ल में नई परेशानी से सिर उठा लिया है। इनका संचालन अराजकता की हद को पार कर चुका है। इनको चलाने का तरीका तानाशाही से भरा है। इनकी पार्किंग भी यत्र-तत्र-सर्वत्र कर ली जाती है। इससे यातायात बाधित होता है। एक्सीडेंट का खतरा अलग बना रहता है। एक तरह से रोड पर ई-रिक्शा के रूप में गुंडागर्दी जारी है।