हाईकोर्ट ने कहा...सिस्टम की लापरवाही स्टूडेंट्स क्यों भुगते
हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच में अनुपयुक्त पाए गए नर्सिंग कालेजों के छात्रों को परीक्षा में शामिल करने का महत्वपूर्ण राहतकारी आदेश पारित किया है।
नर्सिंग कॉलेज से जुड़ा मामला, सीबीआई जांच में अपात्र पाए स्टूडेंट्स को बड़ी राहत
हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच में अनुपयुक्त पाए गए नर्सिंग कालेजों के छात्रों को परीक्षा में शामिल करने का महत्वपूर्ण राहतकारी आदेश पारित किया है। सोमवार को न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी व न्यायमूर्ति एके पालीवाल की युगलपीठ ने अपने आदेश में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों की गलतियों का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। छात्रों को एक अवसर प्रदान करने हुए परीक्षा में शामिल किया जाए। इस आदेश से राज्य के लगभग 45 हजार नर्सिंग छात्रों को बड़ी राहत मिली है।उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश के नर्सिंग कालेजों में चल रह फर्जीवाड़े के संबंध में दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए गए थे। हाई कोर्ट के आदेशानुसार प्रदेश में पंजीकृत सभी नर्सिंग कालेजों की सीबीआई जांच की गई।
-जांच में क्या सामने आया
सीबीआई जांच के आधार पर आधार पर राज्य में परिचालित 308 कालेजों को तीन श्रेणियों में विभाजत किया गया। इसमें 169 कालेज ऐसे पाए गए जो कि तय मापदंडों अनुसार चलने योग्य थे, उन्हें उपयुक्त अर्थात सूटेबल की श्रेणी में रखा गया। वहीं 74 नर्सिंग कॉलेज ऐसे पाए गए, जिनमें कुछ सुधार योग्य खामियां पायी गईं, उन्हें डेफिशिएंट की श्रेणी में रखा गया। जबकि 65 नर्सिंग कॉलेज ऐसे भी पाए गये, जो अनुपयुक्त अर्थात अनसूटेबल की श्रेणी में रखे गए। हाई कोर्ट ने इन्हें चलने योग्य नहीं माना गया। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद आदेशित किया गया था कि डेफिशिएंट श्रेणी के कालेजों के अभ्यर्थियों को उपयुक्त यानि सूटेबल कालेजों में परीक्षा हेतु स्थानांतरित किया जाए। हाई कोर्ट द्वारा गठित समिति द्वारा कालेज की जांच उपरांत ही उपयुक्त पाए जाने पर उन्हें अगले वर्ष हेतु मान्यता प्रदान की जाए। इस आदेश के बाद डेफिशिएंट नर्सिंग कॉलेजों द्वारा हाई कोर्ट के समक्ष पुन: इस आशय के आवेदन पेश किया गया कि उनके कालेजों में सूक्ष्म प्रकृति की खामियों को पूरा करने का मौका देते हुए उन्हें अभ्यर्थियों की विधिवत परीक्षाएं लेने एवं सत्र जारी रखने की अनुमति प्रदान की जाए। हाई कोर्ट ने इस मामले में राहत प्रदान करते हुए आदेशित किया था कि डेफिशिएंट कॉलेज परीक्षा लेने हेतु स्वतंत्र होंगे बशर्ते जांच समिति लगातार जांच जारी रखते हुए इस बिंदु पर जांच करेगी कि डेफिशिएंट कालेजों द्वारा खामियों को दूर किया गया है अथवा नहीं। डेफिसिएंट नर्सिंग कालेजों की ओर से अधिवक्ता निखिल भट्ट व दिव्य कृष्णा बिल्लैया ने पक्ष रखा था। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने अनुपयुक्त पाए गए कॉलेजों के अभ्यर्थियों को भी परीक्षा में सम्मिलित होने की राहत प्रदान कर दी। इस आदेश से मध्य प्रदेश के करीब 45 हजार नर्सिंग छात्रों को लाभ होगा।ला के पिता बलकौर सिंह ने अपने छोटे बेटे की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, 'शुभदीप को चाहने वाली लाखों-करोड़ों आत्माओं के आशीर्वाद से, अनंत भगवान ने शुभ के छोटे भाई को हमारी गोद में डाल दिया है। भगवान के आशीर्वाद से परिवार स्वस्थ है और मैं सभी शुभचिंतकों के अपार प्यार के लिए आभारी हूं। सिद्धू मूसेवाला की मां द्वारा फिर से बेटे को जन्म देने से हवेली में जश्न का माहौल है। 58 वर्ष की उम्र में चरण कौर ने बेटे को जन्म देने के लिए आईवीएफ तकनीक का इस्तेमाल किया है।