प्लेन क्रैश के 30 दिन बाद तक एक्टिव रहता है ब्लैक बॉक्स 

कोई भी विमान जब दुर्घटनाग्रस्त होता है तो वो किस वजह से हादसे का शिकार हुआ है, इस बात का पता लगाने के लिए कई जांच एजेंसियां काम करती हैं। हादसे के कारण का पता कैसे लगाया जाता है। इसके बारे में आम व्यक्ति नहीं जानते।

May 31, 2024 - 17:18
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प्लेन क्रैश के 30 दिन बाद तक एक्टिव रहता है ब्लैक बॉक्स 
The black box remains active for 30 days after a plane crash

कोई भी विमान जब दुर्घटनाग्रस्त होता है तो वो किस वजह से हादसे का शिकार हुआ है, इस बात का पता लगाने के लिए कई जांच एजेंसियां काम करती हैं। हादसे के कारण का पता कैसे लगाया जाता है। इसके बारे में आम व्यक्ति नहीं जानते। घटना कैसे हुई है इसकी वजह प्लेन में उपलब्ध ब्लैक बॉक्स के जरिए पता लगाई जाती है। यह प्लेन का एक ऐसा हिस्सा है जो हादसे के 30 दिन बाद तक एक्टिव रहता है और ये जिस भी जगह पर गिरता है वहां से लगातार 30 दिनों तक एक बीप साउंड करता है। एजेंसिया हादसे के तुरंत बाद से ही इसकी तलाश में जुट जाती हैं। जैसे ही यह मिलता है घटना का कारण भी मिल जाता है। ब्लैक बॉक्स प्लेन के पिछले हिस्से में टाइटेनियम के बॉक्स में रखा जाता है। टाइटेनियम सबसे मजबूत धातुओं में से एक है, इसलिए ब्लैक बॉक्स को भी टाइटेनियम से बनाया जाता है। 

1954 में ब्लैक बॉक्स बना 

जब 1950 में एक कमर्शियल एयरक्राफ्ट दुर्घटनाग्रस्त हुआ तो ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक डेविड वॉरेन दुर्घटना की जांच करने वाली टीम का हिस्सा थे। जांच के दौरान उनके मन  में आया कि क्यों न कोई ऐसा यंत्र बनाया जाए जो विमान हादसे के कारणों का पता लगाने में मदद कर सके। साथ ही डाटा कई दिनों तक सहेज कर रखे। तब 1953 में पहली बार ऑस्ट्रेलिया की एयरोनोटिकल रिसर्च लेबोरेटरी में ब्लैक बॉक्स तैयार किया गया। और 1954 में वॉरेन इसे दुनिया के सामने लेकर आए। असल में ब्लैक बॉक्स दिखने में लाल रंग का होता है। इसलिए शुरूआत इसे रेड एग के नाम से जाना जाता था, लेकिन बॉक्स की भीतरी दीवारें काली होने के कारण बाद में इसका नाम ब्लैक बॉक्स रख दिया गया। ब्लैक बॉक्स का रंग लाल इसलिए होता है ताकि जहाज के मलबे में आसानी से पहचान में आ जाए और दूर से दिख जाए। 

दो अलग डिवाइस है ब्लैक बॉक्स की जान 

फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर 

फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर प्लेन के कई तरह के डाटा को इकट्ठा करता है जैसे प्लेन का ईधन, ऊंचाई, तापमान, प्लेन की गति आदि। यह 25 घंटे से अधिक के रिकॉर्ड की जानकारी रखता है। साथ ही यह एक घंटे तक 11000 डिग्री सेल्सियस का तापमान सहन कर सकता है। 

कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर 

कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर पायलटों के साथ एयर ट्रैफिक कंट्रोलर के बीच की बातचीत को रिकॉर्ड करता है, ताकि दुर्घटना के समय की परिस्थिति से जांचकर्ताओं को महत्वपूर्ण सुराग मिल सके। लेकिन यह केवल दो घंटे तक की वॉइस को ही स्टार कर पाता है।