लंबोदर की सूंड की दिशा दर्शाती है आपके शुभ परिणाम क्या होंगे
सिद्धी विनायक, गजानन, गणेशा इन सभी नामों को हम अपने किसी भी कार्य से पहले जरूर पुकारते हैं। 10 दिवसीय गणेश उत्सव चल रहा है। ऐसे में लोग बाजार से आकर्षक मूर्तियों को पसंद कर अपने घर हर्षोल्लास के साथ लेकर आए हैं।
सिद्धी विनायक, गजानन, गणेशा इन सभी नामों को हम अपने किसी भी कार्य से पहले जरूर पुकारते हैं। 10 दिवसीय गणेश उत्सव चल रहा है। ऐसे में लोग बाजार से आकर्षक मूर्तियों को पसंद कर अपने घर हर्षोल्लास के साथ लेकर आए हैं। उनकी पूजा अर्चना में कोई कसर नहीं रख रहे हैं। संकटों को हरने वाले लंबी सूंड वाले लंबोदर की सूंड के साथ भी तर्क जुड़े हुए हैं। घर में सुख समृद्धि लाते हैं बाईं ओर सूंड वाले गणेशा और दाईं ओर सूंड वाले गणेश जी बड़े से बड़े संकट को हर लेते हैं। लोग जब भी मूर्ति लेने के लिए जाते हैं, तो वे आकर्षक प्रतिमा को पसंद करते हैं। सूंड की दिशा को ध्यान में नहीं रखते। सभी के घरों में जब गणेश जी विराजमान हैं, ऐसे में जानते हैं हम की गणपति की सूंड के पीछे क्या तर्क हैं और ये किस तरह से हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं और इनसे कार्य सिद्ध कैसे होते हैं।
लंबोदर की सूंड के बारे में ऐसे समझें
-हम सभी सांस लेते हैं और सांसों का नाता सूर्य और चंद्र के साथ होता है। हमारी नाक से सांस लेते वक्त दो स्वर काम करते हैं। दायां और बायां। यदि हम दाहिनी नाक से सांस ले रहे हैं, तो इसका मतलब है कि हमारा दाहिना स्वर काम कर रहा है और हमारी पिंगला नाड़ी सक्रिय है। दायां स्वर जागृत होने का अर्थ है कि यह स्वर सूर्य की ऊर्जा से प्रभावित होता है और आज हमारा दिन ऊर्जावान रहने वाला है। जिस गणेश प्रतिमा की सूंड दाहिनी ओर मुड़ी हुई हो। ऐसी मूर्ति के स्वरूप की पूजा करने से बड़े से बड़े संकट भी दूर हो जाते हैं। आम तौर पर दाहिनी ओर सूंड वाले गणपति काफी शुभ माने जाते हैं।
- बाईं ओर से सांस लेने पर इडा नाड़ी सक्रिय होती है। वहीं बाईं ओर मुड़ी हुई सूंड वाली मूर्ति इड़ा नाड़ी और चंद्रमा से प्रभावित मानी जाती है। स्थाई कार्यों के लिए ऐसी मूर्ति की पूजा की जाती है। जैसे शिक्षा, धन, व्यापार, प्रगति, संतान सुख, विवाह, रचनात्मक कार्य और पारिवारिक सुख। घर में बाईं ओर सूंड वाली गणेश जी की मूर्ति स्थापित करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। घर का माहौल सकारात्मक बना रहता है। भगवान गणेश की कृपा हम पर बनी रहती है।
- सीधी सूंड वाली मूर्ति सुषुम्रा स्वर वाली मानी जाती है और इसकी पूजा रिद्धि-सिद्धि, कुंडलिनी जागरण, मोक्ष, समाधि आदि के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है।
-संत समाज दाहिनी ओर सूंड वाली मूर्ति की ही पूजा करता है। सिद्धि विनायक मंदिर, यही कारण है कि इस मंदिर की आस्था और आय आज चरम पर है। जिस मूर्ति में सूंड दाहिनी ओर होती है उसे दक्षिणा मूर्ति कहा जाता है। दाहिना भाग जो यमलोक की ओर जाता है वह सूर्य की नाड़ी का दाहिना भाग है।