पहला शनि प्रदोष व्रत 11 जनवरी को...जानिए भगवान शिव की पूजा और व्रत का क्या है विशेष महत्व 

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को अत्यधिक महत्व दिया गया है और इसे विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा और व्रत के दिन के रूप में मनाया जाता है।

Jan 9, 2025 - 17:13
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पहला शनि प्रदोष व्रत 11 जनवरी को...जानिए भगवान शिव की पूजा और व्रत का क्या है विशेष महत्व 
The first Shani Pradosh fast is on 11th January... Know the special significance of worshiping Lord Shiva and fasting

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को अत्यधिक महत्व दिया गया है और इसे विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा और व्रत के दिन के रूप में मनाया जाता है। शिव पुराण में इस व्रत की महिमा विस्तार से बताई गई है। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, जो दो बार होती है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और कष्टों का निवारण होता है। इस दिन कुछ खास उपाय करने से आर्थिक समस्याएं भी दूर हो सकती हैं।

इस साल का पहला शनि प्रदोष व्रत 11 जनवरी 2025 को पड़ेगा, जो शनिवार के दिन होगा, और इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। यह तिथि 11 जनवरी को सुबह 8:21 बजे से शुरू होकर 12 जनवरी को सुबह 6:33 बजे तक चलेगी। उदया तिथि के अनुसार, शनि प्रदोष व्रत 11 जनवरी को किया जाएगा।

शनि प्रदोष व्रत पर किए जाने वाले उपाय-

  • शिवलिंग का अभिषेक: इस दिन गंगाजल, दूध और शहद से शिवलिंग का अभिषेक करें और बेलपत्र तथा धतूरा चढ़ाएं। यह उपाय शनि दोष से राहत देने में मदद करता है।
  • केसर का चढ़ावा: शिवलिंग पर केसर चढ़ाने से घर की दरिद्रता समाप्त होती है और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
  • शनि देव को प्रसन्न करना: काले तिल और सरसों के तेल का दान करें। इससे शनि देव की कृपा प्राप्त होती है और दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है।
  • दान करना: इस दिन गरीबों को भोजन, वस्त्र या धन का दान करें। इससे जीवन में शांति और सौभाग्य का संचार होता है।
  • कर्ज से मुक्ति: शिवलिंग पर गंगाजल और चावल अर्पित करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है और धन प्राप्ति के योग बनते हैं।
  • व्यापार में उन्नति: श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव की पूजा करने से व्यापार में वृद्धि होती है।
  • नीले रंग का महत्व: शनि देव को नीला रंग प्रिय है। इस दिन नीले रंग के वस्त्र पहनें और नीले रंग के फूल अर्पित करें, जिससे शनि देव प्रसन्न होते हैं और शुभ फल प्रदान करते हैं।