मौसम के हिसाब से घटती-बढ़ती है एफिल टावर की ऊंचाई, सर्दी में घटती है, तो गर्मी में 15 सेमी तक बढ़ती है 

एफिल टावर दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित स्थलों में से एक है। इसे आयरन लेडी के नाम से भी जाना जाता है। तकरीबन 42 सालों तक यह दुनिया का सबसे ऊंचा टावर रहा।

Jul 1, 2024 - 16:49
 21
मौसम के हिसाब से घटती-बढ़ती है एफिल टावर की ऊंचाई, सर्दी में घटती है, तो गर्मी में 15 सेमी तक बढ़ती है 

द त्रिकाल डेस्क। 


एफिल टावर की कुल ऊंचाई 330 मीटर है। सालों से अपनी खूबसूरती के चलते दुनिया भर से लोग इसे देखने पहुंचते हैं। हर साल लगभग 70 लाख लोग इस टावर को देखने आते हैं। इसका निर्माण 800 दिनों में पूरा हुआ। जिसे गुस्ताफ एफिल ने डिजाइन किया था। इस टावर में लोहे के 18,038 पार्ट्स लगे हैं और लगभग 25 लाख कीलें लगी हैं। दशकों से कुछ घटनाएं टावर की यात्रा करने वाले सभी लोगों का ध्यान आकर्षित करती हैं। इसके ऊपर जोड़े गए नए उपकरणों के अलावा टावर की धातु संरचना साल भर में कुछ सेंटीमीटर बढ़ती या घटती है, जिसका कारण है एफिल टावर में उपोग किया गया एक खास किस्म का लोहा। यह लोहा सर्दियों के मौसम में सिकुड़ता है और गर्मी के मौसम में 15 सेंटीमीटर तक फैल जाता है। 


थर्मल एक्सपेंशन है सबसे बड़ी वजह
टावर की बढ़ती और घटती लंबाई थर्मल एक्सपेंशन के चलते होती है। जब तापमान बढ़ता है, तो गर्मी बढ़ने से सभी ठोस, तरल और गैस पदार्थ फैल जाते हैं। तो इस सिद्धांत के अनुसार, गर्म मौसम के कारण गर्मियों में एफिल टॉवर में गर्मी बढ़ जाती है। जिससे आयरन में वृद्धि होती है और एफिल टावर कुछ सेंटीमीटर लंबा हो जाता है। यही कारण है कि जब कड़ाके की ठंड का मौसम आता है, तो धातु संरचना सिकुड़ जाती है और इसमें कुछ सेंटीमीटर की गिरावट हो जाती है। सबसे खास बात यह है कि इस विस्तार के कारण टावर सूर्य से थोड़ा दूर झुक जाता है। सूरज की किरणें टावर की चार भुजाओं में से केवल एक पर ही पड़ती है, जिससे अन्य तीन भुजाओं में असंतुलन पैदा हो जाता है। जिससे एफिल टावर झुक जाता है। 


इस तरह बदलाव होता है एफिल टावर में 
हर साल लगभग 15 सेंटीमीटर की ऊंचाई का उतार चढ़ाव टावर में होता है। जब पेरिस का तापमान 40 डिग्री तक पहुंच जाता है जो काफी ज्यादा है। तब तक टावर 12 से 15 सें सेंटीमीटर तक बढ़ जाता है। हालांकि यह वैज्ञानिक तथ्य सिर्फ विस्तार तक ही सीमित नहीं है। इसके विपरीत, जब कड़ाके की ठंड का मौसम आता है, तो धातु की संरचना सिकुड़ जाता है और इसमें कुछ सेंटीमीटर की गिरावट आ जाती है। इतना कहना पर्याप्त होगा कि ये परिवर्तन प्राकृतिक है और इससे टावर की मजबूती पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

Matloob Ansari मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर से ताल्लुक, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से पत्रकारिता की डिग्री बीजेसी (बैचलर ऑफ जर्नलिज्म) के बाद स्थानीय दैनिक अखबारों के साथ करियर की शुरुआत की। कई रीजनल, लोकल न्यूज चैनलों के बाद जागरण ग्रुप के नईदुनिया जबलपुर पहुंचे। इसके बाद अग्निबाण जबलपुर में बतौर समाचार सम्पादक कार्य किया। वर्तमान में द त्रिकाल डिजीटल मीडिया में बतौर समाचार सम्पादक सेवाएं जारी हैं।