तत्कालीन सीएमएचओ को मिली महज एक इंक्रीमेंट रोके जाने की सजा काफी नहीं:हाईकोर्ट 

हाईकोर्ट के पूर्व निर्देश के पालन में मुख्य सचिव ने शपथ-पत्र पर जानकारी पेश की। अवगत कराया कि जबलपुर के बहुचर्चित न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड में तत्कालीन सीएमएचओ को सुनाई गई महज एक इंक्रीमेंट रोके जाने की सजा पर्याप्त नहीं है।

Mar 9, 2024 - 17:01
Mar 9, 2024 - 17:01
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तत्कालीन सीएमएचओ को मिली महज एक इंक्रीमेंट रोके जाने की सजा काफी नहीं:हाईकोर्ट 
The punishment given to the then CMHO by merely stopping one increment is not enough: High Court


न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड मामले में हाईकोर्ट ने दिए निर्देश, 21 मार्च को अगली सुनवाई

हाईकोर्ट के पूर्व निर्देश के पालन में मुख्य सचिव ने शपथ-पत्र पर जानकारी पेश की। इसके जरिये अवगत कराया कि जबलपुर के बहुचर्चित न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड में तत्कालीन सीएमएचओ को सुनाई गई महज एक इंक्रीमेंट रोके जाने की सजा पर्याप्त नहीं है। लिहाजा, उस पर पुनर्विचार किया जा रहा है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने उक्त जवाब को रिकॉर्ड पर ले लिया। कोर्ट ने सरकार के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कार्रवाई के लिए समय दे दिया। मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च को निर्धारित कर दी।
उल्लेखनीय है कि लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विशाल बघेल की ओर से यह मामला दायर किया गया था। इसके जरिये जबलपुर में नियम विरुद्ध तरीके से निजी अस्पतालों को संचालन की अनुमति प्रदान किये जाने को चुनौती दी गई थी। जनहित याचिका में कहा गया था कि नियमों को ताक में रखकर संचालित न्यू लाइफ अस्पताल में हुए अग्नि हादसे में 8 व्यक्तियों की मौत हो गई थी। 
कोरोना काल में विगत तीन साल में 65 निजी अस्पतालों को संचालन की अनुमति दी गई है। जिन अस्पतालों को अनुमति दी गई है, उनमें नेशनल बिल्डिंग कोड, फायर सिक्योरिटी के नियमों का पालन नहीं किया गया है। जमीन के उपयोग का उद्देश्य दूसरा होने के बावजूद अस्पताल संचालन की अनुमति दी गयी है। बिल्डिंग का कार्य पूर्ण होने का प्रमाण-पत्र न होने के बावजूद अस्पताल संचालन की अनुमति प्रदान की गई है। भौतिक सत्यापन किये बिना अस्पताल संचालन की अनुमति प्रदान की गई है। मामले की पूर्व सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश की गई थी। जिसमें आवेदक की ओर से आपत्ति पेश करते हुए कहा गया था कि रिपोर्ट में एफआईआर की वर्तमान स्थिति के संबंध में कोई जानकारी नहीं है। इसके अलावा नियम विरुद्ध तरीके से अस्पताल संचालित करने की अनुमति देने वाले कितने अधिकारियों के विरुद्ध क्या एक्शन लिया गया, इसकी भी जानकारी नहीं है। किन अस्पतालों पर एक्शन लिया गया इस संबंध में भी कोई जानकारी नहीं है। सिर्फ सीएमएचओं को एक इंक्रीमेंट रोके जाने की सजा से दंडित किया गया और डॉक्टरों की टीम के खिलाफ विभागीय जांच लंबित होना बताया गया। जिस पर हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को सजा के संबंध में शपथ-पत्र पर जवाब पेश करने निर्देशित किया था।