19 जैसे तो नहीं होंगे 24 के नतीजे
जैसे-जैसे चार जून की तारीख नजदीक आती जा रही है,वैसे-वैसे चुनाव परिणामों को लेकर न केवल पार्टी के नेताओं बल्कि आम लोगों में भी बेचैनी बढ़ रही है। अब फलोदी सट्टा बाजार ने अनुमान जताया है कि मप्र के 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणाम 2019 जैसे नहीं होंगे,बदलाव होगा।
जबलपुर के साथ एमपी के इलेक्शन रिजल्ट को लेकर सट्टा बाजार के अनुमान ने बढ़ाई धड़कनें, आधा दर्जन सीटों पर खासी टक्कर
जैसे-जैसे चार जून की तारीख नजदीक आती जा रही है,वैसे-वैसे चुनाव परिणामों को लेकर न केवल पार्टी के नेताओं बल्कि आम लोगों में भी बेचैनी बढ़ रही है। अब फलोदी सट्टा बाजार ने अनुमान जताया है कि मप्र के 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणाम 2019 जैसे नहीं होंगे,बदलाव होगा। हालाकि, 4 जून आते-आते सट्टा बाजार और भी आगे-पीछे हो सकता है,लेकिन फिलहाल वो बदलाव का आकलन पेश कर रहा है। राजस्थान के फलोदी सट्टा बाजार की मानें तो मध्यप्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस, दोनों की टेंशन कुछ बढ़ सकती है। दरअसल फलोदी सट्टा बाजार दोनों प्रमुख दलों की अपेक्षा से कम सीटें दिलाता दिख रहा है। यहां इस बार आधा दर्जन से ज्यादा सीटों पर बेहद कड़े मुकाबले की बात कही जा रही है। इन सीटों पर बीजेपी या कांग्रेस, कोई भी दल जीत सकता है।
अप्रैल का अनुमान अब बदल गया-
अप्रैल में सट्टा बाजार एमपी में कांग्रेस को जबरदस्त बढ़त बता रहा था। उस समय एमपी में बीजेपी को 24 सीटें और कांग्रेस को 5 सीटों का अनुमान व्यक्त किया गया था। मध्यप्रदेश में चौथे चरण की वोटिंग के बाद सट्टा बाजार ने कांग्रेस की सीटें कुछ कम कर दी हैं, इसके बाद भी बीजेपी की टेंशन बरकरार है। सट्टा बाजार के सूत्रों के अनुसार बीजेपी को एमपी में इस बार 29 में से 27 सीटें मिल सकती हैं। वहीं कांग्रेस को 2 सीटें मिल सकती हैं। 2019 में बीजेपी को प्रदेश की 28 सीटों पर जीत मिली थी जबकि 2014 में बीजेपी ने प्रदेश की 27 सीटें जीती थी। इस बार बीजेपी सभी 29 सीटों पर जीत का लक्ष्य बनाकर चुनावी मैदान में उतरी थी पर सट्टा बाजार के अनुमान सत्ताधारी दल को कुछ निराश कर सकते हैं।
ये सीटें हैं टक्कर वाली-
सट्टा बाजार इस बार मध्यप्रदेश की आधा दर्जन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस में कांटे की टक्कर बता रहा है। जिनमें, छिंदवाड़ा, मुरैना, मंडला, ग्वालियर, झाबुआ और राजगढ़ लोकसभा सीटें हैं। कहा गया है कि इन सीटों पर बीजेपी या कांग्रेस में से किसी का भी प्रत्याशी जीत सकता है। हालाकि, इनमें से एक सीट छिंदवाड़ा अभी भी कांग्रेस के पास ही है,लेकिन अन्य पांच सीटों पर कड़ा मुकाबला होने का अनुमान मुकाबले को रोचक बना सकता है। राजगढ़ सीट इसलिए सुर्खियों में आ गयी है, क्योंकि यहां से कांगे्रस के दिग्गज दिग्विजय सिंह मैदान में है।
जबलपुर पर छाई खामोशी-
सट्टा बाजार में जबलपुर को लेकर खामोशी छाई हुई है। सट्टा बाजार टक्कर जैसी कोई बात तो नहीं कर रहा है,लेेकिन जीत-हार को पुख्ता करने वाला ऐलान भी नहीं कर रहा है। हालाकि, अभी चार जून को आने में कुछ दिन शेष हैं और इससे पहले सट्टा बाजार एक बार फिर से अपने अनुमान व्यक्त करेगा। जबलपुर के अलावा और भी कई लोकसभा सीटें हैं,जिनको लेकर सट्टा बाजार उदासीन हैं।
क्या है फलोदी सट्टा बाजार-
फलोदी राजस्थान का एक जिला है जो देशभर में सट्टा पर आधारित अनुमानों के लिए जाना जाता है। इस सट्टा बाजार के अनुमान हकीकत के आसपास होते हैं इसलिए चुनाव से पहले सट्टा बाजार की चर्चा शुरु हो जाती है। ये सट्टा बाजार करीब पांच सौ साल पुराना है। इसका आगाज सांडों की लड़ाई से हुआ था,जो अब चुनाव परिणामों की भविष्यवाणी करने लगा। न केवल आम लोग,बल्कि राजनीतिक पार्टियां और पॉलिटिकल विश्लेषक भी सट्टा बाजार के रुख पर नजर रखते हैं।