नर्सिंग कालेजों को मान्यता देने का नियम कठघरे में, अगली सुनवाई तक नियम लागू नहीं
मप्र हाईकोर्ट में नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने संबंधी राज्य शासन द्वारा बनाए गए नए नियमों को कठघरे में रखा गया है। सुनवाई के दौरान शासन ने अंडरटेकिंग दी कि अगली सुनवाई तक उक्त नियम लागू नहीं किये जायेंगे।
हाईकोर्ट में अगली सुनवाई आगामी दो अप्रैल को
मप्र हाईकोर्ट में नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने संबंधी राज्य शासन द्वारा बनाए गए नए नियमों को कठघरे में रखा गया है। सुनवाई के दौरान शासन ने अंडरटेकिंग दी कि अगली सुनवाई तक उक्त नियम लागू नहीं किये जायेंगे।
जस्टिस संजय द्विवेदी व जस्टिस एके पालीवाल की युगलपीठ के समक्ष सुनवाई दौरान शासन ने अंडरटेकिंग दी कि अगली सुनवाई तक उक्त नियम लागू नहीं किये जायेंगे। मामले की अगली सुनवाई हाईकोर्ट में दो अप्रैल को होगी।
यह मामला लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की ओर से दायर किया गया है। जिनकी ओर से अधिवक्ता दीपक तिवारी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा नर्सिंग शिक्षण संस्था मान्यता नियम 2024 बनाए हैं। नए कॉलेज खोलने अथवा पुराने कॉलेजों की मान्यता नवीनीकरण हेतु अब जहाँ पुराने नियमों में 20 हजार से 23 हजार वर्गफीट अकादमिक भवन की अनिवार्यता होती थी, उनके स्थान पर मात्र 8 हजार वर्गफिट बिल्डिंग में ही नर्सिंग कॉलेज खोले जा सकेंगे। आवेदक की ओर से कहा गया कि पिछले दो वर्षों में सीबीआई जांच में प्रदेश के 66 नर्सिंग कॉलेज अयोग्य पाये गये हैं, जिसमें सरकारी कॉलेज भी शामिल है। सरकार ने इन्हीं कॉलेजों को नए सत्र से बैकडोर एंट्री देने के लिए नए नियम शिथिल किये है। नर्सिंग से संबंधित मानक एवं मापदंड तय करने वाली अपेक्स संस्था इंडियन नर्सिंग काउंसिल के रेग्युलेशन 2020 में भी स्पष्ट उल्लेख है कि 23 हजार वर्गफिट के अकादमिक भवन युक्त नर्सिंग कॉलेज को ही मान्यता दी जा सकती है। वहीं मामले की सुनवाई दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि नये नियम बनाने के अधिकार राज्य शासन को है, इसलिए इन्हें गलत नहीं कहा जा सकता। मामले में सरकार की आरे स ेजवाब पेश करने समय की राहत चाही गई और उक्त अंडरटेकिंग दी गई। जिसके बाद न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई दो अप्रैल को निर्धारित की है।