समय से पहले ही बंद किया स्कूल गेट, सैकड़ों छात्र खड़े रहे बाहर
फीस और किताबों में कमीशन को लेकर घेरे में आए स्कूलों का रवैया अभी भी अभिभावकों के प्रति नरम नहीं है। मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित पोलीपाथर के सेंट अलॉयसियस स्कूल ने बुधवार सुबह हठधर्मिता की सारी हदें पार कर दीं, जब अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन को अपना दर्द बताया तो स्कूल प्रबंधन ने कहा कि टीसी ले लो।
पैरेंट्स का सेंट अलॉयसियस स्कूल पर आरोप, फीस वापसी का दबाव बनाने पर अपनाया हथकंडा
द त्रिकाल डेस्क, जबलपुर।
फीस और किताबों में कमीशन को लेकर घेरे में आए स्कूलों का रवैया अभी भी अभिभावकों के प्रति नरम नहीं है। मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित पोलीपाथर के सेंट अलॉयसियस स्कूल ने बुधवार सुबह हठधर्मिता की सारी हदें पार कर दीं, जब अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन को अपना दर्द बताया तो स्कूल प्रबंधन ने कहा कि टीसी ले लो। सुबह स्कूल प्रबंधन ने समय से पहले ही गेट बंद कर दिया और जब सैकड़ों अभिभावक अपने बच्चों के साथ गेट खोलने की मांग करने लगे तो प्रबंधन ने कहा कि गेट तो नहीं खुलेगा, यदि अभिभावक चाहें तो टीसी ले लें। इस बात पर काफी देर तक हंगामा हुआ। पैरेंट्स का कहना है कि जिस स्कूल का रवैया इतना निराशाजनक हो,वहां बच्चों को पढ़ाना सही नहीं है। अपने बच्चों के साथ बाहर खड़े अभिभावकों ने कहा कि वे इस बात की शिकायत कलेक्टर दीपक सक्सेना के सामने रखेंगे ताकि इस तरह के स्कूलों पर शिकंजा कसा जा सके,जो केवल अभिभावकों पर दबाव बनाने के लिए ऐसी हरकतें करते हैं। अभिभावकों ने कहा कि यदि एक साथ सैकड़ों अभिभावक कैसे लेट हो सकते हैं। दरअसल, स्कूल प्रबंधन ने ये सब जानबूझकर किया है ताकि पैरेंन्ट़स पर प्रेशर बनाया जा सके।
स्कूल प्रबंधन की मनमानी-
अभिभावकों ने कहा कि स्कूल प्रबंधन ऐसा सिर्फ इसलिए कर रहा है ताकि अभिभावकों द्वारा अतिरिक्त फीस की मांग न की जाए। प्रबंधन को लगता है कि बच्चों को इसी स्कूल में पढ़ाना पैरेन्ट्स की विवशता है, जिसका फायदा उठाया जा सकता है, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है, क्योंकि खामोश होने के बजाए अभिभावक और उग्र हो चुके हैं। अभिभावकों ने कहा कि स्कूल प्रबंधन ने कलेक्टर कार्यालय के आदेश का अब तक पालन शुरु भी नहीं किया है और पैरेन्ट्स से उनका व्यवहार भी अच्छा नहीं है। अभिभावकों ने कहा कि फीस संबंधी कलेक्टर कार्यालय के आदेशों की स्कूल ने धज्जियां उड़ा रखी हैं। बार-बार बात करने के बावजूद स्कूल प्रबंधन कुछ भी करने तैयार नहीं है।